नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना से गांव और खेती के संसाधनों का सशक्तीकरण– टीएस सिंहदेव… रेडियो पर दी नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना की जानकारी…
रायपुर। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने आज रेडियो पर राज्य शासन की महत्वाकांक्षी नरवा, गरवा, घुरवा और बारी योजना की जानकारी दी। उन्होंने आज शाम साढ़े सात बजे आकाशवाणी रायपुर से प्रसारित विशेष कार्यक्रम ‘हमर ग्रामसभा’ में योजना के विभिन्न आयामों के बारे में विस्तार से बताया। सिंहदेव ने कहा कि इस योजना से गांव और खेती के संसाधन सशक्त होंगे तथा गांवों को आर्थिक मजबूती मिलेगी। उन्होंने कार्यक्रम में श्रोताओं द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब भी दिए।
सिंहदेव ने ‘हमर ग्रामसभा’ में बताया कि छत्तीसगढ़ की परंपरागत गौठान और चरवाही व्यवस्था में नई सुविधाओं व आर्थिक लाभ के पहलू को जोड़ते हुए गांव-गांव में गौठानों को डे-केयर शेल्टर के रूप में विकसित किया जा रहा है। गौठानों को स्वसहायता समूहों के माध्यम से कई तरह के रोजगार से भी जोड़ा जा रहा है। स्वरोजगार की इच्छुक समूह की महिलाओं को वहां वर्मी कंपोस्ट, बकरीपालन, मुर्गीपालन, मछलीपालन, सब्जियों की खेती जैसे कृषि से संबद्ध व्यवसाय के साथ ही रोजमर्रा के जीवन में उपयोग होने वाले उत्पादों जैसे साबुन, अगरबत्ती, दोना-पत्तल, गमला, दीया जैसी सामग्री के उत्पादन के लिए जगह भी दी जा रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि गौठानों के प्रबंधन में स्वसहायता समूह महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री ने कार्यक्रम में कहा कि नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज और स्वावलंबी गांव के विचार के काफी करीब है। यह जैविक और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देती है। जल के संरक्षण और प्रबंधन, पशुधन की अच्छी देखभाल, कृषि भूमि की उर्वरता, पोषण का स्तर बेहतर करने के साथ ही यह योजना ग्रामीणों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। गोधन न्याय योजना के इससे जुड़ जाने से किसानों और पशुपालकों को नियमित अच्छी आय हो रही है। सिंहदेव ने कार्यक्रम के दौरान नरवा, गरवा, घुरवा और बारी योजना के क्रियान्वयन में पंचायत एवं ग्रामीण विकास, जल संसाधन, क्रेडा, वन, कृषि, पशुधन विकास तथा उद्यानिकी विभाग की भूमिकाओं को भी रेखांकित किया।