Bilaspur: सहारा इंडिया के निवेशकों ने ली हाईकोर्ट की शरण… सहारा प्रमुख सुब्रत समेत इन्हें बनाया गया पक्षकार… जानिए कितने करोड़ लेकर भाग गई है कंपनी…
Sebi सेबी की ओर से खुद बताया गया है कि इस विवाद में सेबी को कोई लेना-देना नहीं है। इसके बाद भी सहारा सोसाइटी के अफसर जानबूझकर झूठे तथ्यों को भोली भली जनता को बताकर बरगलाया रहे हैं और जमाकर्ताओ की राशि में हेराफेरी की जा रही है।
बिलासपुर। निवेशकों ने सहारा इंडिया सोसाइटी से भुगतान की मांग को लेकर हाईकोर्ट की शरण ली है। उन्होंने याचिका में RBI, SEBI, केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन, तारबाहर थाना प्रभारी सहित सहारा सोसायटी के स्थानीय, राज्य स्तरीय और केन्द्रीय प्रबंधन को, सुब्रत राय सहारा सहित अन्य को पक्षकार बनाया है। इस मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी, जिसमें सभी पक्षकारों को जवाब देना होगा।
सहारा इंडिया सोसाइटी के जमाकर्ताओं का भुगतान नहीं किया जा रहा है। इससे परेशान होकर अविनाश दार्वेकर, याजुवेंद्र त्रिवेदी, नारायण मूर्ति, अशोक बासु, बनानी घोष, सूबेदार यादव और अन्य ने मिलकर हाईकोर्ट में अधिवक्ता डॉ. सचिन अशोक काले एवं अन्य वकीलों के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका लगाई है।
वकीलों ने कोर्ट को बताया कि सहारा इंडिया सोसाइटी के अफसर सेबी सहारा विवाद के कारण भुगतान में देरी होने का हवाला दे रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि सेबी की ओर से खुद बताया गया है कि इस विवाद में सेबी को कोई लेना-देना नहीं है। इसके बाद भी सहारा सोसाइटी के अफसर जानबूझकर झूठे तथ्यों को भोली भली जनता को बताकर बरगलाया रहे हैं और जमाकर्ताओ की राशि में हेराफेरी की जा रही है।
याचिकाकर्ता ने बताया कि सहारा इंडिया सोसाइटी ने बिलासपुर जिले से करीब 500 करोड़ रुपए अपनी योजनाओ में जमा कराए हैं, जिसकी अवधि पूरी होने के बाद भी जमाकर्ताओं को उनकी राशि नहीं दी जा रही है। ऐसे में हजारों निवेशक परेशान हैं।
विरोध-प्रदर्शन का भी असर नहीं
सहारा सोसाइटी से भुगतान की मांग को लेकर स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक आंदोलन हो रहे हैं और अलग-अलग राज्यों के हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गई है।
बिलासपुर में भी सहारा जमाकर्ता कार्यकताã मंच की ओर से राशि भुगतान की मांग को लेकर कई बार आंदोलन किया जा चुका है। विभिन्न सरकारी कार्यालयों में अपने भुगतान को लेकर आवेदन दिया, लेकिन इस दिशा में प्रशासनिक अफसर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। पुलिस भी उनकी शिकायतों पर कार्रवाई नहीं कर रही है।