बिलासपुर: सीपत एनटीपीसी ने गिनाईं अपनी उपलब्धियां… सीईओ राजशेखरन बोले- स्थापना काल से सामाजिक दायित्यों का भी कर रहे हैं निर्वहन… जानिए ग्रामीणों और बच्चों की बेहतरी के क्या किया…
बिलासपुर। सीपत एनटीपीसी अपने स्थापना काल से ही अपने सामाजिक दायित्यों को निभाते आ रहा है। चाहे वह प्रभावित गांवों का विकास हो, चाहे ग्रामीणों की सेहत का सवाल हो या फिर गांव के होनहार बच्चों को ऊंची उड़ान देने का जिम्मा हो। सीपत एनटीपीसी ने जांजगीर-चांपा जिले के बलौदा में आईआईटी खोला है, जहां पांच ट्रेड में दर्जनों बच्चों को ट्रेनिंग दी जा रही है।
ये बातें सीपत एनटीपीसी के सीईओ पद्मकुमार राजशेखरन, जीएम (ओपीएन) घनश्याम प्रजापति, जीएम मेंटेनेंस जेएस मूर्ति और जीएम एचआर आरएस कौल ने शुक्रवार को संयुक्त पत्रवार्ता में बताईं। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी की रोकथाम व ग्रामवासियों को राहत देने के लिए कई कार्य किए गए हैं। मास्क , सेनेटाइज़र, धर्मल स्कन्नर का वितरण किया गया है। प्रवासी श्रमिकों के लिए राशन की व्यवस्था की गई है। शिक्षा को बढावा देने आईटीआई महुदा , बलौदा में डीजल मैकेनिक टूल्स के लिए सहयोग, सेमुलटेर आधारित वैनिंग 5 प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। हाल ही में सहयोगी ग्रामों के शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं को विद्यार्थियों हेतु डेस्क – बैंच दिए गए हैं। ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल की उपलकता सुनिश्चित करने ग्राम जांजी , रांक एवं गतौरा में आरसी बॉटर संयंत्र स्थापित किए गए हैं। कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने लुतरा उर्स के दौरान डोम की व्यवस्था की गई थी।
पर्यावरण संरक्षण पर उठाए जा रहे हैं सराहनीय कदम
सीपत एनटीपीसी के सीईओ पद्मकुमार राजशेखरन, जीएम (ओपीएन) घनश्याम प्रजापति, जीएम मेंटेनेंस जेएस मूर्ति और जीएम एचआर आरएस कौल ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के तहत सीपत में दो नए एस ब्रिक्स संयत्र लगाने जा रहे हैं, जिसके पूरे होने से न सिर्फ एस ब्रिक्स की उपलब्धता बढेगी, बल्कि राख की उपयोगिता में भी बढ़ोतरी होगी। उन्होंने बताया कि एनटीपीसी सीपत की ओर से अब तक 10 लाख से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं। इनमें करीब 3 लाख पौधे एनटीपीसी परियोजना के परिसर के भीतर लगाए गए हैं। शेष पौधे हरियाली योजना के तहत प्रशासन को उपलब्ध कराए गए थे। उन्होंने कहा कि हम पौधरोपण की मियावाकी विधि को अपना रहे हैं, जिसके तहत परिसर में उपलब्ध छोटे से क्षेत्र में बड़े संख्या में पौधे लगाए जाएंगे।
सीपत परियोज एक नजर में
छत्तीसगढ़ का सर्ववृहत विद्युत परियोजना , एनटीपीसी सीपत 2000 मेगावाट स्थापित क्षमता के साथ प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेयी ने 20 जनवरी 2002 को शिलान्यास किया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 19 सितंबर 2013 को लोकार्पण किया था। प्रथम चरण 660 मेगावॉट की लीन सुपर क्रिटिकल तकनीक पर आधारित इकाइया, 1980 मेगावाट पंचालन में। द्वितीय चरण : 500 मेगावाट मसता की 2 इकाइयां, कुल : 2980 मेगावाट। एनटीपीसी की सर्वप्रथम 100 मेगावॉट क्षमता की इकाइयों एवं सुपर क्रिटिकल टेक्नालॉजी पर आधारित बॉयलर देश के सर्वप्रथम 760 को ही स्पीच यार्ड कोयले की आपूर्ति समझौता एसईसीएल बिलासपुर के साथ प्रति वर्ष 149.58 लाख मिलियन टन कोयले की आपूर्ति हेतु करार किया गया है।
पौधरोपण : संयंत्र की चारों ओर हरित पट्टी का विकास एवं आसपास के गांवों में सम्पर्क मार्गों एवं उपलब्ध स्थानों पर सघन पौधरोपण किया गया है। परियोजना निर्माण में केवल राख से बनी ईंटों का उपयोग किया जा रहा है।
ई.एस.पी. मुख्य उपलब्धियां:- प्रथम चरण- 660 मेगावॉट की तीनों इकाइयों से क्रमश: 01 10.2011 , 25.05.2012 एवं 01.08.2012 से व्यावसायिक उत्पादन जारी। द्वितीय चरण की दोनों 500 मेगावाट की इकाइयां क्रमश: 20.06.2008 एवं 01.01.2009 से व्यावसायिक उत्पादन किया जा रहा है। 63.925 मेगावाट क्षमता के साथ एनटीपीसी भारत के विकास को गति प्रदान करते हुए विश्व की सबसे बड़ी एवं सर्वश्रेष्ठ विद्युत कपनियों में से एक के रूप में उभर कर सामने आया है। एनटीपीसी सीपत , सुपर क्रिटिकल तकनीक आधारित एनटीपीसी की एक पर्यावरण हितैषी परियोजना है। विद्युत उत्पादन वित्त वर्ष 2020-21 में 27.01,2021 तक सीपत के विद्युत गृह द्वारा 91.16 प्रतिशत पीएलएफ पर 1968 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन किया गया।