कोरबा: खुद को पाक-साफ बताने वाले तुमान स्कूल के प्राचार्य ने आरटीआई का आवेदन लेने से किया इनकार… डीईओ पांडेय दे रहे हैं भरपूर साथ… अर्जी स्वीकार करने के बाद भी तय समय में नहीं दी जानकारी… प्राचार्यों के पत्र बोल रहे- डीईओ कार्यालय से जुड़े हुए हैं गड़बड़ी के तार… संदर्भ: बिना परीक्षा दिए प्रैक्टिकल अंक देने का मामला…
कोरबा। बिना परीक्षा दिए चार छात्रों को प्रैक्टिकल अंक बांटने के मामले में दोषी करार दिए गए करतला ब्लॉक स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला तुमान के प्राचार्य पुरुषोत्तम पटेल ने आरटीआई के तहत आवेदन लेने से इनकार कर दिया। पता चला है कि राज्य सूचना आयोग से प्रेषित लेटर को स्वीकर करने के बजाय वे पोस्टमैन को पेशी पर पेशी दे रहे हैं। बता दें कि प्राचार्य पुरुषोत्तम पटेल वही शख्स हैं, जिन्होंने संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग बिलासपुर की जांच रिपोर्ट आने से पहले तक खुद को पाक-साफ बताते हुए बड़े-बड़े बयान मीडिया में प्रकाशित कराए थे और अपने ही स्कूल के शिक्षकों पर संगीन आरोप लगाए थे, पर जांच रिपोर्ट ने सारी सच्चाई खोल दी और खुद उन पर ही आरोप सिद्ध हो गए हैं।
संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग बिलासपुर द्वारा गई जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट हो गया है कि तुमान स्कूल से जिन चार छात्रों का चयन मेरिट के आधार पर अग्रगमन कोचिंग सेंटर में हुआ था, जिन्हें प्रैक्टिकल अंक फर्जी तरीके से दिए गए हैं। संयुक्त संचालक ने इस मामले में तुमान स्कूल के प्राचार्य पी पटेल और अग्रगमन कोचिंग सेंटर प्रभारी एमपी सिंह को दोषी करार देते हुए कार्रवाई की अनुशंसा कर रिपोर्ट डीपीआई को भेज दी है। इधर, जांच रिपोर्ट आने के बाद एक आरटीआई कार्यकर्ता ने तुमान स्कूल के नाम से करीब 11 आवेदन आरटीआई के तहत प्रेषित किए थे, जिसे लेने से प्राचार्य पटेल ने इनकार कर दिया। ये आवेदन प्रैक्टिकल परीक्षा, संस्था में की गई खरीदी आदि से संबंधित थे।
आरटीआई कार्यकर्ता ने इन आवेदनों को राज्य सूचना आयोग को प्रेषित किया है, जहां से आरटीआई कार्यकर्ता को एक पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें बताया गया है कि उनके आवेदन को जनसूचना अधिकारी तुमान स्कूल को भेज दिया गया है। राज्य सूचना आयोग का पत्र कोरबा भी पहुंच गया है। पता चला है कि जब पोस्टमैन पत्र को सौंपने तुमान स्कूल जाते हैं, तब प्राचार्य व जनसूचना अधिकारी पटेल बहाना बनाकर उन्हें वापस भेज देते हैं। अब सवाल यह उठता है कि आखिर प्राचार्य पटेल आवेदन लेने से क्यों डर रहे हैं। कहीं इन आवेदनों के जरिए उनका कोई और काला कारनामा तो नहीं खुल जाएगा। बहरहाल, आरटीआई कार्यकर्ता ने फिर से राज्य सूचना आयोग को लेटर लिखने का मन बना चुका है।
डीईओ पांडेय की भूमिका संदिग्ध
आरटीआई कार्यकर्ता ने तुमान स्कूल के चार छात्रों को प्रैक्टिकल परीक्षा के अंक गलत तरीके से दिए जाने के मामले को लेकर कोरबा डीईओ सतीश पांडेय के कार्यालय में भी आवेदन लगाया है। ये आवेदन डीईओ कार्यालय पहुंच गए हैं और समय सीमा 30 दिन से अधिक हो गई है। फिर भी डीईओ पांडेय ने अब तक इन आवेदनों के बदले में आरटीआई कार्यकर्ता को किसी तरह का जवाब नहीं दिया है। इससे यह कहना गलत नहीं होगा कि डीईओ पांडेय भी तुमान स्कूल के प्राचार्य पटेल की कारगुजारियों पर पर्दा डालने नहीं चूक रहे हैं।
प्राचार्यों के पत्र कह रहे- डीईओ कार्यालय से जुड़े हैं गड़बड़ी के तार
एक अन्य आरटीआई कार्यकर्ता ने अग्रगमन कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले छात्रों के प्रैक्टिकल परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाएं, सीरियल नंबर आदि की जानकारी विभिन्न प्राचार्यों से मांगी थी। करीब 11 स्कूलों के प्राचार्यों ने उन्हें एक-एक पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि उनके यहां अध्ययनरत छात्रों का चयन अग्रगमन कोचिंग सेंटर में हुआ था। इसलिए प्रैक्टिकल परीक्षा से संबंधित सारी जानकारी वहीं मिलेगी। उनके आवेदन को अग्रगमन सेंटर प्रभारी एमपी सिंह को फारवर्ड करने की सूचना भी दी गई है।
बता दें कि संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग बिलासपुर द्वारा प्रैक्टिकल परीक्षा के अंकों को लेकर कराई गई जांच में यह भी स्पष्ट हो गया है कि जिला प्रशासन ने प्रैक्टिकल परीक्षा लेने के लिए अग्रगमन सेंटर को अलग से कोई आदेश जारी नहीं किया था। माशिमं ने भी स्पष्ट कर दिया है कि उनके कार्यालय से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। डीईओ कार्यालय से जांच टीम को किसी तरह का जवाब नहीं दिया गया था। जांच रिपोर्ट पर गौर करें तो यह साफ हो गया है कि अग्रगमन कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को जो प्रैक्टिकल अंक दिए गए हैं, उसकी गड़बड़ी के तार डीईओ कार्यालय से ही जुड़े हुए हैं।
इस मामले में पक्ष जानने के लिए डीईओ सतीश पांडेय से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने मोबाइल कॉल रिसीव नहीं किया। वाट्सएप में मैसेज किया गया, लेकिन देखने के बाद भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।