ये है CHHATTISGARH की पहली महिला, जिनके हाथों में आते ही नाचने लगते हैं पाना-पेंचिस… चंद मिनट में बाइक की खराबी जान लेती है… और कर देती है दुरुस्त… अब बच्चे भी कहते हैं- my mother is motor mechanic…

हेमवती हंसते हुए कहती हैं-कि लड़का-लड़की कुछ नहीं होता है, लड़कियां वो सब कर सकती हैं जो लड़के कर सकते हैं। मुझे और सीखना है और आगे बढ़ना है ताकि बस्तर की लड़कियां मुझसे प्रेरणा लेकर काम करें। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि लड़कियां वो सब करें जो वो करना चाहती हैं।

जगदलपुर CHHATTISGARH। कहते हैं कि जहां चाह है, वहां राह है… आगे बढ़ने की यही चाह नजर आई जिला बस्तर के एक छोटे से गांव रेटावंड की रहने वाली हेमवती नाग के अंदर। तीन बच्चों की मां हेमवती अपने पति के साथ रहती हैं। साधारण माताओं की तरह ही हेमवती भी सुबह उठकर बच्चों को तैयार कर स्कूल भेजती हैं, घर का काम निपटाती हैं और जरूरत पड़ने पर खेत का काम भी करती हैं। लेकिन हेमवती की पहचान इससे भी इतर है और वह पहचान है ‘बस्तर की पहली मोटर मैकेनिक’ होने की। Now children also say – my mother is motor mechanic…

आठवीं तक की स्कूली शिक्षा लेने के बाद हेमवती का विवाह तुलेश्वर नाग के साथ हो गया। पेशे से मैकेनिक तुलेश्वर ने एक छोटी सी गाड़ी बनाने की दुकान खोली। शहर से दूर होने की वजह से जब भी  तुलेश्वर को सामान लेने शहर जाना होता था, उन्हें दुकान बंद करनी पड़ती थी। जिसकी वजह से उन्हें  आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता था। हेमवती ने पति की मदद करने की ठान ली। उन्होंने पाना-पेंचिस उठाया और अपने पति से दोपहिया गाड़ी सुधारने की तकनीक को सीखने की इच्छा बताई। 

बस फिर क्या था, यहीं से हेमवती के मैकेनिक बनने का सफर शुरू हुआ। हेमवती हंसते हुए कहती हैं-कि लड़का-लड़की कुछ नहीं होता है, लड़कियां वो सब कर सकती हैं जो लड़के कर सकते हैं। मुझे और सीखना है और आगे बढ़ना है ताकि बस्तर की लड़कियां मुझसे प्रेरणा लेकर काम करें। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि लड़कियां वो सब करें जो वो करना चाहती हैं। शिक्षा के प्रति भी हेमवती काफी जागरूक हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी बेटी पूजा नाग का दाखिला स्वामी आत्मानंद इंग्लिश स्कूल में करवाया है जहां वो अंग्रेजी पढ़ती हैं। ये देखकर हेमवती खुश हैं और उनकी इच्छा है कि उनके बच्चे उच्च शिक्षा ग्रहण करे।

आज हेमवती और उनके पति साथ मिलकर अपनी मोटर मैकेनिक की दुकान में साथ काम करते हैं। हेमवती का कहना है कि पति की अनुपस्थिति में हेमवती अकेले दुकान का काम निपटा लेती हैं और दुकान पर किसी अन्य को काम पर रखने की झंझट से भी उन्हें छुटकारा मिल गया। 

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हेमवती नाग जिस भरोसे से कहती हैं कि उन्हें आगे बढ़ना है वह काबिले तारिफ है। उनकी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास उन्हें औरों से अलग बनाती है। निश्चित ही वे अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बनकर उभरेंगी।