शिक्षा विभाग में पोस्टिंग घोटाला: काउंसिलिंग परिसर में ही बिछा था दलालों का जाल… मनचाही जगह पर पोस्टिंग दिलाने यहीं से शुरू हुआ खेल… प्रभारी अधिकारी-कर्मचारी बराबर के हिस्सेदार… पर सवाल यह कि मेहरबानी क्यों…

शिक्षकों के अनुसार काउंसिलिंग कमेटी में जेडी प्रसाद, सहायक संचालक कौशिक, राय, सहायक ग्रेड 2 विकास तिवारी, ऑपरेटर रोशन शर्मा, अक्षत शर्मा, अभिषेक थवाईत शामिल थे। सभी को अलग-अलग काम दिए गए थे। मसलन, ऑपरेटर कंप्यूटर में रिक्त स्थान की जानकारी दिखाता था, लिपिक चुने गए स्थान में क्रास लगाता था।

बिलासपुर। शिक्षा विभाग के संभागीय कार्यालय के अधिकारी-कर्मचारियों ने पदोन्नति के बाद पोस्टिंग देने के लिए काउंसिलिंग कराने से पहले ही सारी साजिश रच ली थी। काउंसिलिंग परिसर में ही दलालों का जाल बिछा हुआ था, जो उन शिक्षकों से संपर्क करता था, जिन्हें दूसरे जिले में पोस्टिंग मिली हुई है। काउंसिलिंग कमेटी में एक दर्जन अधिकारी-कर्मचारी बैठे हुए थे, लेकिन कार्रवाई सिर्फ दो पर ही हुई है। अब सवाल उठाया जा रहा है कि पूरे भ्रष्टाचार को अंजाम देने वाले कमेटी के अन्य सदस्यों को जांच के दायरे से क्यों बाहर रखा गया है।

शिक्षा विभाग के संभागीय कार्यालय द्वारा पदोन्नत शिक्षकों की पोस्टिंग में हुए संशोधन के खेल में शामिल संयुक्त संचालक प्रसाद और सहायक ग्रेड 2 विकास तिवारी को सस्पेंड कर दिया गया है। संभागीय कमिश्नर भीम सिंह द्वारा गठित जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी पेश कर दी है। कमिश्नर भीम सिंह का कहना है कि सात बिंदुओं पर की गई जांच की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। हालांकि रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन यह बात पता चली है कि 700 से अधिक शिक्षकों की पदस्थापना में संशोधन किया गया है।

दूसरी ओर, मामले की तह तक जाएं तो पता चलता है कि पोस्टिंग की आड़ में हुए भ्रष्टाचार को एक रैकेट ने अंजाम दिया है। नाम नहीं छापने की शर्त पर शिक्षक बताते हैं कि काउंसिलिंग से पहले सारी साजिश रच ली गई थी। काउंसिलिंग तो शिक्षकों को जाल में फंसाने का एक आधार था।

शिक्षकों के अनुसार काउंसिलिंग कमेटी में जेडी प्रसाद, सहायक संचालक कौशिक, राय, सहायक ग्रेड 2 विकास तिवारी, ऑपरेटर रोशन शर्मा, अक्षत शर्मा, अभिषेक थवाईत शामिल थे। सभी को अलग-अलग काम दिए गए थे। मसलन, ऑपरेटर कंप्यूटर में रिक्त स्थान की जानकारी दिखाता था, लिपिक चुने गए स्थान में क्रास लगाता था। इन्होंने पूरी काउंसिलिंग की प्रक्रिया को अंजाम दिया है। प्रभावित शिक्षकों के अनुसार काउंसिलिंग परिसर में ही दलालों का जाल बिछा हुआ था। ये दलाल काउंसिलिंग में शामिल होकर निकलने वाले शिक्षकों से जगह के संबंध में पूछताछ करते थे। कोई शिक्षक मिले हुए स्थान से असंतुष्ट दिखता था तो उन्हें मनचाही जगह पर पोस्टिंग दिलाने का दावा किया जाता था।

यहां सौदा होने के बाद शिक्षक को एक लिपिक के पास भेजा जाता था, जहां पैसे का लेनदेन होता था। इस तरह से पूरे भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है। शिक्षकों के बीच चर्चा है कि इस फर्जीवाड़े को कमेटी में शामिल सभी सदस्यों ने अंजाम दिया है, पर कार्रवाई सिर्फ दो पर ही हुई है। क्या कमेटी के अन्य सदस्यों की कार्यप्रणाली की कोई जांच होगी। क्यों उनसे किसी तरह की रिकवरी होगी।

दूसरे संभाग के शिक्षक को बनाया था एजेंट

www.aajkal.info को पुख्ता जानकारी मिली है कि भ्रष्टाचार को अंजाम देने के लिए दूसरे संभाग के एक शिक्षक को ठेके पर यहां लाया गया था। उन्हें ही शिक्षकों से संपर्क कर सौदा करने का दायित्व सौंपा गया था। बताया जा रहा है कि दूसरे संभाग से आए इस शिक्षक ने अकेले 150 से अधिक प्रकरणों का निपटारा कराया है।

कंप्यूटर में छिपा दिया जाता था स्थान

प्रभावित शिक्षकों के अनुसार काउंसिलिंग के दौरान भी कई तरह की गड़बड़ियां की गई हैं। काउंसिलिंग में शामिल होने वाले शिक्षकों को दूसरे जिले के रिक्त स्थानों को ही दिखाया जाता था। गृह जिले में स्थान रिक्त होने के सवाल पर जवाब दिया जाता था कि वह सीट पैक हो गई है। आरोप यह भी है कि कंप्यूटर ऑपरेटर रिक्त स्थानों को हाइड कर देता था।

प्रभारियों पर मेहरबानी क्यों

प्रभावित शिक्षकों ने खुलासा करते हुए बताया है कि संयुक्त संचालक कार्यालय में हर विभाग के काम का बंटवारा किया गया था। मसलन, शिक्षा विभाग के शिक्षकों से संबंधित कार्यों का प्रभार एक सहायक संचालक के पास तो दूसरे सहायक संचालक को ट्राइबल का दायित्व दिया गया है। दावा किया जा रहा है कि पोस्टिंग आदेश में जितने भी संशोधन हुए हैं, उसकी अलग से नोटशीट चली होगी, जिसमें प्रभारी अधिकारी और प्रभारी लिपिक के भी हस्ताक्षर होंगे, क्योंकि यही सरकारी प्रक्रिया है। दावे पर भरोसा करें तो यह तथ्य साबित हो जाता है कि भ्रष्टाचार में प्रभारी अधिकारी और प्रभारी लिपिक भी बराबर के दोषी हैं, लेकिन यह समझ से परे है कि इन्हें क्यों बख्श दिया गया है।