सीएमडी कॉलेज के चेयरमैन संजय दुबे का रसूख देखिए… निगम के आदेश कूड़े में डाला… सरकारी जमीन पर बनाए जा रहे कांपलेक्स को तोड़ना तो दूर… निर्माण भी बंद नहीं किया… आखिर क्यों मौन हैं निगम आयुक्त…
बिलासपुर। लगता है सीएमडी कॉलेज के चेयरमैन और बिलासपुर रोटरी क्लब के अध्यक्ष संजय दुबे नगर निगम से सारे अधिकारी-कर्मचारियों को अपनी जेब में रखते हैं, तभी तो निगम की जमीन पर बनाए जा रहे कांपलेक्स को तोड़ने का आदेश मिलने के बाद भी निर्माण कार्य जारी है और निगम आयुक्त से लेकर जिम्मेदार अफसर मौन हैं। नोटिस में तीन दिनों के भीतर अवैध निर्माण को तोड़ने का आदेश दिया गया था, जिसकी मियाद 30 मई शनिवार को पूरी हो जाएगी।
www.aajkal.info ने अपने 26 मई के अंक में ‘बिलासपुर रोटरी क्लब के अध्यक्ष और सीएमडी कॉलेज के चेयरमैन संजय दुबे का दुस्साहस देखिए… निगम की अरबों रुपए बेशकीमती जमीन पर पहले किया कब्जा, अब बना रहे कांपलेक्स… सब कुछ जानने के बाद भी निगम अफसरों की भूमिका संदिग्ध…’ शीर्षक से एक खबर प्रकाशित की थी, जिसमें बताया गया था कि जूना बिलासपुर में पटवारी हल्का नंबर 36 के अंतर्गत रकबा 0.3240 हेक्टेयर (81 डिसमिल) जमीन नगर पालिक निगम बिलासपुर के नाम पर दर्ज है, जिसमें से 54 डिसमिल जमीन पर बिलासपुर रोटरी क्लब के अध्यक्ष और सीएमडी कॉलेज के चेयरमैन संजय दुबे ने पहले कब्जा किया और उस जमीन पर गुपचुप तरीके से अवैध कांपलेक्स का निर्माण किया जा रहा है।
वर्तमान बाजार भाव में जमीन की कीमत एक अरब रुपए से अधिक आंकी जा रही है। यह खबर प्रकाशित होते ही नगर निगम से जुड़े जनप्रतिनिधियों और अधिकारी-कर्मचारियों के बीच हड़कंप मच गया। www.aajkal.info द्वारा मामला उजागर करने के बाद नगर निगम प्रशासन हरकत में आ गया है। नगर निगम प्रशासन की ओर से बीते बुधवार को सीएमडी कॉलेज के चेयरमैन संजय दुबे को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि अगर तीन दिन के अंदर अवैध कांपलेक्स को नहीं तोड़ा गया तो नगर निगम प्रशासन खुद ही उसे ढहा देगा। इधर, सीएमडी कॉलेज के चेयरमैन संजय दुबे पर इस नोटिस का कोई असर नहीं हुआ।
निगम की जमीन पर बनाए जा रहे कांपलेक्स को तोड़ना तो दूर, उल्टे निर्माण कार्य जारी है। इससे साबित होता है कि सीएमडी कॉलेज के चेयरमैन संजय दुबे कितने रसूखदार हैं और निगम आयुक्त प्रभाकर पांडेय से लेकर सारे अधिकारी-कर्मचारी कितने लाचार हैं। अब सवाल यह उठता है कि आखिर निगम आयुक्त क्यों लाचार हैं। क्या कोई राजनीतिक दबाव है या फिर नोटों के बंडल ने हाथ बांध रखे हैं। या कोई रिश्तेदारी है।
इसका जवाब तो निगम आयुक्त प्रभाकर पांडेय ही दे सकते हैं।