Bilaspur: बड़ी खबर- एसपी कार्यालय के कोषालय में 85 लाख का GPF घोटाला… आरोपी ASI लाइन अटैच… जानिए कैसे हुआ मामले का खुलासा…
पुलिस अधीक्षक कार्यालय को लिखित शिकायत मिली है कि विभाग के कुछ बाबू और अधिकारियों ने मिलकर जीपीएफ GPF घोटाला को अंजाम दिया है।
कुछ बाबू और अधिकारियों ने मिलकर जीपीएफ GPF घोटाला को अंजाम दिया है।
बिलासपुर। एसपी कार्यालय (SP) के कोषालय में 85 लाख रुपए के जीपीएफ GPF घोटाला का मामला सामने आया है। इससे पुलिस विभाग में खलबली मची हुई है। बताया जा रहा है कि एक आरक्षक ने जीपीएफ खाते से ₹200000 निकलवाने का आवेदन दिया, लेकिन उसे 25 लाख रुपए भुगतान कर दिया गया।
इस तरह से 9 आरक्षक और हेड कांस्टेबल को जीपीएस (GPF) की राशि जारी करने में गड़बड़ी की गई है। इस मामले की दोषी एसआई (SI) को लाइन अटैच कर दिया गया है।
जानकारी के अनुसार पुलिस अधीक्षक कार्यालय में जीपीएफ घोटाला सामने आया है। हालांकि यह पुराना है, लेकिन एसएसपी पारुल माथुर (SSP Parul mathur) ने जांच का आदेश दिया है। जांच शुरू भी हो गयी है। लेकिन जांच अधिकारी राजेश श्रीवास्तव ने फिलहाल कुछ भी बताने से इंकार किया है। बताया जा रहा है कि इसमें एक बाबू की भूमिका संदिग्ध है। जो अभी भी अपने पद पर काबिज है।
फण्ड विभाग में पदस्थ महिला महिला क्लर्क को लाइन अटैच कर दिया गया है। पुलिस अधीक्षक कार्यालय को लिखित शिकायत मिली है कि विभाग के कुछ बाबू और अधिकारियों ने मिलकर जीपीएफ GPF घोटाला को अंजाम दिया है। घोटाला में एक विवादित महिला की भी भूमिका है। घोटाला में अनुकम्पा नियुक्ति से सरकार की सेवा कर रहा एक बाबू की भूमिका संदिग्ध है।
शिकायत के अनुसार प्रधान आरक्षक 88 पिछले कुछ साल तक जेल में रहा। जेल में रहने के दौरान 16 सितम्बर 2021 को भविष्य निधि का आवेदन दिया। तात्कालीन बाबू के सहयोग से 12 लाख रूपये स्वीकृत करवाया। लेकिन उसे 16 लाख रूपयों का भुगतान किया गया। बिल क्रमांक 545 तारीख 16 सितम्बर 2021 बीटीआर क्रमांक 4790903 जिला कोषालय में देयक आहरण के लिए जमा किया गया। 18 सितम्बर को 16 लाख रूपए जेल में बन्द आरक्षक के खाते में जमा हुआ।
शिकायत में यह भी बताया गया है कि आरक्षक 10 ने प्रधान आरक्षक के साथ मिलकर राशि का आधा-आधा बटवारा किया है। इसके अलावा कार्यालय में पदस्थ बाबू ने दो आरक्षकों को भी जीपीएफ GPF घोटाला कर फायदा पहुंचाया है। ऐसा करने से शासन को लाखों रूपयों का नुकसान है।
कुछ सेवा निवृत अधिकारियों ने गलत तरीके से विभाग के बाबूओं को प्रभाव में लेकर गलत पेशन तैयार किया है। बाद में कार्यालय में पदस्थ बाबू गलत तरीके से लाभ पाने वालों से वसूली भी किया और आज भी करता है।
पत्र के अनुसार एक प्रधान आरक्षक का मूल वेतन 2100 रूपए है। लेकिन मिलीभगत कर विभागीय भविष्य निधी से 18 लाख से अधिक रूपया जमा कराया गया है। पत्र में दावा किया गया है कि पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पदस्थ बाबू का यातायात थाना में पदस्थ आरक्षक के साथ लम्बे समय से लेन देन भी है।
SSP ने दिया जांच का आदेश
शिकायत के बाद SSP ने जांच का आदेश दिया है। मामले में संबधित बाबू से बातचीत का प्रयास किया गया। लेकिन बाबू ने बताया कि मामले में कुछ नहीं बोलूंगा। जांच में जो कुछ होगा सामने आ जाएगा।
महिला बाबू लाइन अटैच
महिला बाबू को पुलिस कप्तान ने एक दिन पहले दिन ही लाइन अटैच कर दिया है। बताते चलें कि महिला बाहू पहले से कई मामलों में विवादित रही है।लाइन अटैच आदेश तक महिला बाबू उसी विभाग में पदस्थ थी, जहां से जीपीएफ GPF का घोटाला हुआ है।
मामले में हो रही जांच
GPF घोटाला की जांच कर रहे अधिकारी डीएसपी राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें आज ही जांच के लिए फाइल मिली है। फिलहाल कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं हूं। जांच में जो कुछ भी सामने आएगा, उसकी जानकारी सभी को हो जाएगी।
अब तक 9 लोगों जीपीएफ घोटाला में नाम
सूत्रों की माने तो GPF घोटाला में गलत तरीके से लाखों रूपया का लाभ लेने वालों में कई आरक्षक और कांस्टेबल है। ऐसे लोगो की संख्या 9 से अधिक है। और भी नाम सामने आ सकते हैं।
ऐसे हुआ घोटाला
एक सवाल के जवाब में जांच अधिकारी डीएसपी राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि दो तरीके से जीपीएफ का आहरण होता है। कांस्टेबल स्तर के कर्मचारियों का जीपीएफ भुगतान विभाग कोषालय से होता है। बड़े अधिकारियों का भुगतान जिला कोषालय से किया जाता है।
मतलब साफ है कि जीपीएफ घोटाला पुलिस अधीक्षक कोषालय से ही हुआ है। क्योंकि जीपीएफ का लाभ लेने वाले कमोबेश सभी लोग या तो आरक्षक है या फिर कांस्टेबल है।