बिलासपुर शहर कांग्रेस: विवाद, फसाद और तुष्टिकरण की राजनीति… यही बन गई है पहचान… सीनियर भी पर्दे के पीछे से दे रहे हवा… आखिर किसे नीचा दिखाना चाहते हैं ये…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश और बिलासपुर नगर निगम में जब से कांग्रेस की सत्ता आई है, तब से छोटे से लेकर सीनियर कांग्रेसियों को अलग तरह की ही बीमारी लग गई है। कोई फसाद कर पार्टी की नीति-रीति की मटियामेट कर रहा है तो किसी के स्वभाव में झगड़ालु प्रवृत्ति घर कर गई है। बात यहीं तक रहती तो ठीक थी, लेकिन ये अपनों को ही नीचा दिखाने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। ताजा मामला बीते दिनों हुई समन्वय बैठक में उभरकर सामने आया है। बैठक में जो कुछ भी हुआ, वह कांग्रेस के लिए ठीक नहीं था। बहरहाल, यह तो साफ हो गया है कि पर्दे के पीछे से फसाद करने वालों को हवा देकर कुछ सीनियर कांग्रेसी तुष्टिकरण की राजनीति कर अपनी रोटी सेंक रहे हैं।

नगर निगम की सामान्य सभा 13 अगस्त को प्रस्तावित है। इस कार्यकाल की यह पहली सभा है, जिसमें विपक्षियों के सवालों का जवाब देने के लिए समन्वय बैठक बुलाई गई थी, जिसमें संसदीय सचिव रश्मि सिंह, शहर विधायक शैलेश पांडेय, कांग्रेस कमेटी के प्रदेश उपाध्यक्ष अटल श्रीवास्तव, शहर अध्यक्ष प्रमोद नायक, ग्रामीण अध्यक्ष विजय केशरवानी, मेयर रामशरण यादव, पूर्व मेयर वाणी राव, राजेश पांडेय, बैजनाथ चंद्राकर आदि मौजूद थे। बैठक में चर्चा होनी थी, सामान्य सभा में विपक्षियों को किस तरह से मात दिया जाए, लेकिन बैठक की शुरुआत से ही पार्षद लीक से हट गए।

कांग्रेस से जुड़े सूत्रों की मानें तो बैठक से पहले कुछ कांग्रेसी पार्षदों को फसाद किस तरह से करना है, इसकी जनमघुट्टी पिलाकर भेजा गया था। जैसे ही बोलने की बारी आई तो कांग्रेस पार्षद रामा बघेल पिल पड़े। इस दौरान उन्हें पार्टी के अनुशासन का भी ख्याल नहीं रहा। उनके निशाने पर मेयर रामशरण यादव ही रहे। दरअसल कुछ दिनों से षडयंत्र रचने वाले खिलाड़ी रामा के कंधे से ही बंदूक चला रहे हैं। यह पहला मौका नहीं है कि जब पार्षद रामा बघेल झगड़ पड़े थे। इससे पहले वे सभापति शेख नजीरुद्दीन, अजय यादव, जुगल किशोर गोयल से बेवजह भिड़ चुके हैं।

सभापति शेख नजीरुद्दीन ने भी जब सीनियर कांग्रेसियों से सहयोग की अपील की तो बात यहां तक उठ गई कि आखिर कौन-कौन मेयर और सभापति को असहयोग कर रहे हैं, उनका नाम गिनाया जाए। इस मामले को लेकर गरमागरम बहस हुई। इस दौरान बैठक में मौजूद दिग्गज कांग्रेसी हस्तक्षेप करने के बजाय चटकारे लेकर मजा लेते रहे। हालांकि कांग्रेसी यही बयान देते आए हैं कि ये घर की बात है। रामा बघेल उनके भाई हैं। विवाद जैसी कोई बात नहीं है, लेकिन संगठन में अब अंदर ही अंदर अनुशासन तोड़ने वाले नेताओं को सबक सिखाने की तैयारी चल रही है।

बताया जा रहा है कि बैठक में जो कुछ भी हुआ, उसे लेकर शहर संगठन आहत है और यह पता लगाया जा रहा है कि आखिर रामा बघेल जैसे सीधे-साधे पार्षद के मन में किसने जहर का बीज बो दिया है, जिसके चलते वे लगातार अपनों पर ही बाण चला रहे हैं। वैसे भोले-भाले नेताओं के मन को बिचकाने में माहिर तीन से चार नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। दरअसल, ये नेता सत्ता में जिस पद को लेकर लालायित थे, वह पद उन्हें नहीं मिल पाया। इसलिए वे आए  दिन फसाद कराकर यह साबित करना चाहते हैं कि आलाकमान ने प्रमुख पदों पर जिन्हें बिठाया है, वह उस पद के काबिल नहीं है।

बहरहाल, अपने मंसूबों पर तो मतभेद का बीज बोने वाले कांग्रेसी कितने सफल हुए हैं, यह तो आने वाला वक्ता बताएगा, लेकिन कांग्रेसियों की फूट जगजाहिर हो गई है। इसका फायदा विपक्षी भाजपाई किस तरह से उठाते हैं, यह सामान्य सभा में पता चल जाएगा।

जब बोलने का मौका नहीं मिला तो कर दिया पिंच

बताया जा रहा है कि हर कार्यक्रम में बोलने के लिए उतावला रहने वाले एक पार्षद को जब माइक नहीं मिली तो उसने एक कांग्रेसी पार्षद को पिंच कर दिया। ये वही शख्स हैं, जो मीडिया की सुर्खियों में बने रहने के लिए एड़ी-चोटी एक करने से नहीं चूकते। उनका इशारा मिलते ही वह पिल पड़े। उन्हें ख्याल ही नहीं रहा कि आखिर क्या बोल रहे हैं।

सीनियरों से राय लेकर की जाएगी कार्रवाई

शहर कांग्रेस से जुड़े एक पदाधिकारी का कहना है कि समन्वय बैठक में जो भी हुआ, वह ठीक नहीं था। पार्षदों को अपनी गरिमा में रहकर बात करनी चाहिए। सीनियर कांग्रेसियों से राय-मश्विरा कर अनुशासन को तार-तार करने वाले कांग्रेसियों पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।