बिलासपुर: कलेक्टर साहब… मुझे न्याय चाहिए… कोर्ट में विचाराधीन है मामला… और तहसीलदार गबेल ने जारी कर दिया है मकान तोड़ने का आदेश… तहसीलदार गबेल बोले- उच्चाधिकारियों के आदेश का किया पालन…
बिलासपुर। व्यवहार न्यायालय में जिस विवादित मकान का प्रकरण विचाराधीन है, उसे तोड़ने के लिए बिलासपुर तहसीलदार एनपी गबेल द्वारा आदेश जारी करने का मामला सामने आया है। पीड़ित परिवार का आरोप है कि एक व्यक्ति के प्रभाव में आकर तहसीलदार ने ऐसा आदेश जारी किया है।
बिलासपुर तहसील अंतर्गत मंगला निवासी सुरेश पटेल पिता स्व. परागी पटेल, गीता बाई पटेल स्व. गणेश पटेल, परमेश्वर पटेल, गोविन्दा पटेल, सोनिया पटेल, दीपा पटेल, संदीप पटेल, बली ने शुक्रवार को कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपते हुए बताया है कि उनके परिवार वालों का मकान मंगला में खसरा नंबर 1160 में स्थित है, जिसे उनके पिता स्वः परागी ने निर्माण कराया था। इसी से लगी हुई जमीन को गोंडपारा निवासी पंकज भोजवानी पिता मोहन भोजवानी ने 4 मार्च 2004 को अन्य व्यक्ति से खरीदा था। जिसका सीमांकन कराया गया, लेकिन पास से लगी जमीन के मालिक परागी को नोटिस नहीं दिया गया था , जबकि क्रेता पंकज भोजवानी के विक्रय पत्र की चौहद्दी में परागी पटेल की भूमि होने का उल्लेख है।
उक्त भूमि के सीमांकन प्रतिवेदन में 2 डिसमिल के अलावा डेढ़ डिसमिल अतिरिक्त भूमि होने का प्रतिवेदन राजस्व निरीक्षक बिलासपुर ने दिया है। आरोप है कि पंकज भोजवानी ने राजस्व अधिकारी से मिलीभगत कर प्रतिवेदन के पीछे भाग पर गणेश पटेल द्वारा मकान निर्माण किया जाना लिखवा लिया है। उपरोक्त प्रतिवेदन के आधार पर 26 अप्रैल 2008 को धारा 250 छग भू-राजस्व संहिता के तहत गीता बाई के पति गणेश पटेल के विरुद्ध एकपक्षीय आदेश करा लिया। आदेश होने के उपरांत पंकज भोजवानी ने लगभग 12 वर्षों तक कोई कार्यवाही नहीं की। गणेश पटेल की मृत्यु होने के पश्चात समय आदेश का पालन करने के लिए तहसीलदार के न्यायालय में पंकज भोजवानी ने आवेदन प्रस्तुत किया, जबकि स्व. गणेश पटेल के अलावा उपरोक्त मकान में स्व. परागी के पुत्र सुरेश पटेल, रामेश्वर पटेल एवं अन्य निवास करते चले आ रहे हैं। बताया गया है कि तहसीलदार बिलासपुर ने 7 दिसंबर 2020 को पीड़ितों को कब्जा वारण्ट की तामिली की। तब गीता बाई ने तहसीलदार बिलासपुर के न्यायालय में शीघ्र सुनवाई एवं आदेश पर आपत्ति प्रस्तुत की। आरोप है कि जिसे तहसीलदार गबेल ने न्यायालय के राजस्व पत्रक में नहीं लिया। सिर्फ प्रकरण में संलग्न किया। तब सुरेश पटेल ने तहसीलदार के आदेश के विरुद्ध अनुविभागीय अधिकारी बिलासपुर राजस्व के न्यायालय में 24 दिसंबर 2020 को अपील प्रस्तुत की, जिस पर पंकज भोजवानी को नोटिस / उपस्थिति के लिए चले आ रहा है, जिसकी अगली पेशी तारीख 22 मार्च 2021 को है। वर्तमान में तहसीलदार के न्यायालय में इस प्रकरण के कोई भी राजस्व पत्र या प्रकरण नहीं होने के बावजूद माल जमादार के माध्यम से शिकायतकर्ताओं के मकान को तोडने के लिए 26 फरवरी को सूचना पत्र दिया गया है, जबकि न्यायालय के कब्जा वारण्ट में मकान तोड़कर कब्जा दिलाये जाने का आदेश नहीं है। फिर भी दबावपूर्वक तहसीलदार द्वारा 27 फरवरी 2021 को पंकज भोजवानी को कब्जा देने की पूर्ण कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया है कि सप्तम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग -02 बिलासपुर के न्यायालय में उपरोक्त विवादित मकान के संबंध में व्यवहार वाद प्रस्तुत किया गया है, जहां प्रकरण विचाराधीन है। उन्होंने कलेक्टर से न्याय की गुहार लगाई है।
मकान तोड़कर नहीं दिया जा सकता कब्जा
शिकायतकर्ताओं के अनुसार छग राजस्व संहिता में स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि धारा 250 के तहत सिर्फ कृषि भूमि में अतिक्रमण किये जाने से कब्जा दिया जाता है। मकान तोड़कर कब्जा दिलाया जाना तहसीलदार के क्षेत्राधिकार से बाहर है। उक्त भूमि पर उनका मकान बना हुआ है। मकान, भवन का कब्जा दिलाना व्यवहार न्यायालय के क्षेत्राधिकार में है।
तहसीलदार गबेल ने कहा- उच्चाधिकारियों के आदेश का पालन किया
इस मामले में बिलासपुर तहसीलदार गबेल का कहना है कि उन्होंने यह आदेश जारी नहीं किया है। पटेल परिवार के मकान को लेकर उच्चाधिकारियों ने जो आदेश दिया है, उसका उन्होंने पालन किया है। उन्होंने बताया कि उक्त मकान के संबंध में उच्च कार्यालय से पटेल परिवार के खिलाफ में फैसला आया है। व्यवहार न्यायालय में मामला विचाराधीन होने का प्रमाण उन्होंने पेश किया है, लेकिन मामले में किसी तरह का स्टे नहीं है। यदि वे स्टे लेकर आते हैं तो कार्रवाई रोक दी जाएगी।