छत्तीसगढ़: विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए गए बड़े फैसले… मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम…
रायपुर। आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कबीरधाम जिले के बैगा बाहुल्य पंडरिया विकासखसड के सुदूर एवं दुर्गम वनांचल ग्राम छिन्दीडीह में तीन दिवसीय बैगा महोत्सव का विधिवत शुभारंभ किया। मंत्री डॉ. टेकाम ने बैगा बाल महोत्सव का शुभांरभ करते हुए स्थानीय वनोपज संसाधनों की सामग्री की प्रदर्शनी का अवलोकन किया और बैगा नर्तक दलों के साथ गीत-संगीत में हिस्सा लेते हुए बैगा आदिवासियों के साथ नृत्य भी किया। मंत्री डॉ. टेकाम ने तीन अलग-अलग बैगा नर्तक दलो को 45 हजार रूपए के चेक का वितरण भी किया। लगातार 11वां वर्ष से बैगा समाज और अस्था समिति द्वारा बैगा बाल महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।
मंत्री डॉ. टेकाम ने बैगा बाल महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में सरकार द्वारा राज्य में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजातियों की संस्कृति, और उनके सरंक्षण और संवर्धन के साथ समाज को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए है। छत्तीसगढ़ राज्य में पांच विशेष पिछड़ी जनजातियां बैगा, अबूझमाड़िया, कमार, पहाड़ी कोरबा और बिरहोर निवासरत है। इन सभी विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिए विशेष अभिकरण का गठन किया गया है। राज्य सरकार द्वारा विशेष पिछडी जनजातियों के कला-संस्कृति को सहेजने के लिए महत्वपूर्ण फैसले लिए गए है। उन्होंने कहा कि बैगा बोली-भाषा की विशेषता और महत्व को बनाए रखने के लिए बैगानी भाषा में पाठ्य पुस्तक का प्रकाशन किया गया है। अब यहां के बच्चे अपने भाषा में भी पुस्तक का अध्ययन कर रहे है। मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि प्रदेश में कबीरधाम जिला पहला जिला है, जहां बैगा समाज के पढे-लिखें सैकड़ों शिक्षित युवक-युवतियों को शाला संगवारी के रूप में चयन कर रोजगार से जोड़ा गया है। राज्य सरकार की नीति के परिणाम है कि आज बैगा समाज के युवक-युवतियां स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रही है।
मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि वनांचल और जंगलों के बीच सदियों से निवास करने वाले लोगों के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए अनेक आयोजनाएं संचालित कर रही है। इसके अलावा उन्हे आर्थिक रूप में मजबूत और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर देने के लिए वनोपज सग्रहण के लिए नीतियां बनाई गई है। वनोपज, महुआ का समर्थन मूल्य 17 रूपए से बढ़ाकर 30 रूपए प्रति किलो की दर निर्धारित किया गया है। तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर 25 सौ रूपए से बढ़ाकर सीधे 4 हजार रूपए कर दिया गया है। प्रदेश भर में 856 हाट-बाजारों में लघु वनोपज की खरीदी की नई व्यवस्था देने से प्रदेश के किसानों से लेकर वनो में निवारत लाखों वनवासियों को इसका सीधा लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा तेंदूपत्ता संग्राहकों को समाजिक सुरक्षा का लाभ देने के लिए सहित शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक समाजिक सुरक्षा योजना बनाई गई है। पूरे प्रदेश में इस योजना के तहत तेंदूपत्ता संग्राहक में लगे हुए लगभग 12 लाख 50 हजार संग्राहक परिवारो को सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिल रहा है। उन्होंने बताया कि संग्राहक परिवार के मुखिया की मृत्यु होने पर उनके उत्तराधिकारी को 4 लाख रूपए देने का प्रावधान है।
महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर नीलकंठ चन्द्रवंशी, मुकुंद माधव कश्यप, राम कुमार सिन्हा, बैगा समाज के प्रदेशाध्यक्ष ईतवारी बैगा,लमतू राम बैगा, बैगा विकास अभिकरण के जिला अध्यक्ष पुसूराम बैगा, बैगा समाज के जिला अध्यक्ष कामू बैगा और कोरिया, मुंगेली, गौरेला पेन्ड्रा मरवाही जिले में निवासरत बैगा समाज के जिला अध्यक्ष और पदाधिकारी विशेष रूप से उपस्थित थे।