www.aajkal.info का बड़ा खुलासा… सीएमडी कॉलेज प्रबंधन ने नैक टीम को रखा अंधेरे में… कई साल से नियमित प्राचार्य नहीं… जरहाभाठा कॉलेज के प्राचार्य के आने पर चार माह बाद स्टाफ को मिला वेतन… चार माह रेप के आरोप में फंसे हुए हैं दो प्राध्यापक… अतिथि शिक्षकों को दिया जाता है 8-9 हजार रुपए मानदेय और शो की जाती है भारी भरकम रकम… नगर निगम की जिस सरकारी जमीन पर स्मार्ट कॉलेज बनाने की जानकारी हाईकोर्ट में दी गई है, उसे दिखाया ही नहीं… कॉलेज के पीछे में बनी बिल्डिंग का कराया निरीक्षण… जिसे बताया स्मार्ट क्लॉस… हाईकोर्ट में भी दी गई है गलत जानकारी… नैक की टीम की इस होटल में की जा रही है आवभगत… प्रबंधन ने नैक टीम के सामने कितने झूठ बोले… जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर… घोटालों की लंबी फेहरिस्त है कॉलेज की… जानिए दस्तावेज के साथ नैक टीम और यूजीसी से शिकायत करने की कौन कर रहा है तैयारी…
CMD College Management kept the NAAC team in the dark… Wrong information has also been given in the High Court… How many lies the management told in front of the NAAC team… Read the full news to know… The college has a long list of scams…
बिलासपुर। संभाग के सबसे बड़े कॉलेज सीएमडी कॉलेज प्रबंधन ने निरीक्षण के लिए आई नैक टीम को अंधेरे में रख दिया है। कॉलेज को ए ग्रेड का दर्जा दिलाने के लिए कई तरह की साजिश रची गई है। सबसे बड़ी बात यह है कि कई साल से कॉलेज में नियमित प्राचार्य नहीं है। डॉ. संजय सिंह को प्रभारी प्राचार्य की जिम्मेदारी देकर काम चलाया जा रहा है। प्रभारी प्राचार्य होने के कारण कॉलेज के नियमित स्टाफ का वेतन निकालने का अधिकार जरहाभाठा कालेज के प्राचार्य को दिया गया है। यही वजह है कि कॉलेज के नियमित स्टॉफ को करीब चार माह का वेतन नहीं मिल पाया था। जरहाभाठा कॉलेज के प्रिसिंपल के छुट्टी से लौटने के बाद ही नियमित स्टॉफ को वेतन का भुगतान हो पाया है।
महिलाओं के दुव्र्यवहार के मामले में कॉलेज सालों से बदनाम है। यहां दो प्राध्यापकों पर रेप के गंभीर आरोप लग चुके हैं। इस मामले में प्राध्यापक डॉ. कमलेश जैन को रेप के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया था। प्राध्यापक डॉ. डीके चक्रवर्ती रेप के मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर चल रहे हैं। कहने को तो डॉ. संजय सिंह प्रभारी प्राचार्य हैं, लेकिन यहां हुकूम रेप में मामले में फंसे डॉ. कमलेश जैन और डॉ. चक्रवर्ती की ही चलती है। सीएमडी कॉलेज के प्रबंधन और चेयरमैन संजय दुबे ने नैक टीम को खुश करने के लिए रेप के आरोप में फंसे डॉ. कमलेश जैन को ही लगा रखा है। नैक टीम की चेयरमैन सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा ए गुप्ता हैं। सदस्य इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के डॉ. देवेंद्र कुमार चौहान और विष्णु यादव हैं। नैक की टीम जैसे ही सोमवार को निरीक्षण के लिए कॉलेज पहुंची, प्रबंधन ने डॉ. कमलेश जैन से अगुवानी कराई। डॉ. कमलेश जैन और प्रभारी प्राचार्य डॉ. संजय सिंह ने ही टीम को कॉलेज का निरीक्षण कराया। इस दौरान टीम ने जितने भी सवाल दागे, दोनों ने ही उसका जवाब दिया।
ऑनलाइन परीक्षा शुल्क के अतिरिक्त प्राइवेट स्टूडेंट्स से बेजा वसूली
कॉलेज प्रबंधन ने प्राइवेट स्टूडेंट्स से ऑनलाइन परीक्षा शुल्क वसूला है। इसके अलावा हार्ड कॉपी जमा करते समय प्राइवेट स्टूडेंट्स से एक –एक हजार रुपए की बेजा वसूली की गई है।
तदर्थ शिक्षकों को 8-9 हजार मानदेय
कॉलेज प्रबंधन तदर्थ शिक्षकों को जमकर शोषण करता है।
इन्हें महज 8-9 हजार मानदेय दिया जाता है।
प्रत्येक विभाग में नेट और कंप्यूटर नहीं
कॉलेज के प्रत्येक विभाग में इंटरनेट और कंप्यूटर नहीं है। इसके कारण कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई नहीं हो पाई थी। नैक टीम को जितना बताया जा रहा है, वह सब फर्जी है।
कॉलेज के पीछे की बिल्डिंग का कराया निरीक्षण
प्रबंधन ने कॉलेज के पीछे एक अखबार की बाउंड्रीवाल से लगी एक बिल्डिंग बनवाई है, जिसे स्मार्ट क्लॉस के रूम में सजाया गया है। नैक टीम को सोमवार को इसी बिल्डिंग को दिखाया गया है। इस बिल्डिंग को यूजीसी के मिले फंड से बनवाया गया है।
रूसा से ग्रांट मिला ही नहीं
सन 2014 में नैक की टीम ने निरीक्षण कर कॉलेज के बारे में अच्छी रिपोर्ट दी थी। इसके चलते कॉलेज को ए ग्रेट का दर्जा मिला था। ए ग्रेट का दर्जा मिलने पर रूसा ने दो करोड़ रुपए का ग्रांट स्वीकृत किया था। यह राशि कॉलेज को जारी करने से पहले रूसा की ओर कॉलेज में एक टीम भेजी गई थी। उस समय टीम ने कॉलेज के नाम को लेकर आपत्ति जताई थी। टीम का कहना था कि रूसा में कॉलेज का नाम सीएम दुबे दर्ज है, जबकि यहां सीएमडी कॉलेज के नाम से कॉलेज का संचालन किया जा रहा है। टीम ने प्रबंधन को कॉलेज का नाम बदलने पर ही ग्रांड देने की शर्त रखी। यही नहीं, टीम ने प्रबंधन से 1956 में पंजीयन कराए गए नाम का दस्तावेज मांगा, जिसे प्रबंधन पेश नहीं कर सका। इसके कारण रूसा से किसी तरह का ग्रांट अब तक नहीं मिला है।
हाईकोर्ट में दी गलत जानकारी
सीएमडी कॉलेज की संपत्ति की आड़ में चेयरमैन संजय दुबे ने नगर निगम की बेशकीमती जमीन पर कब्जा कर लिया है और वहां निजी कांपलेक्स बना लिया है। इस कांपलेक्स के निर्माण के सम नगर निगम ने सीएमडी कॉलेज को नोटिस जारी किया और एक सप्ताह के भीतर कब्जा नहीं हटाने पर एकतरफा कार्रवाई की चेतावनी दी तो सीएमडी कॉलेज प्रबंधन ने इस नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती है। सीएमडी कॉलेज प्रबंधन पूर्व में एक निजी संस्थान को अपनी जमीन देने के बदले में इसे नगर निगम से मिलने की जानकारी दी है। इसी जमीन पर कॉलेज के लिए स्मार्ट क्लॉस बनाने का जवाब हाईकोर्ट को दिया गया है, लेकिन इस जमीन की रजिस्ट्री अब तक कॉलेज के नाम पर नहीं हुई है।
सीएमडी कॉलेज ने हाईकोर्ट से मांग की कि जब तक उसकी जमीन का पूरा सीमांकन नहीं हो जाता, तब तक नोटिस के क्रियान्यन पर रोक लगाने की मांग की। हाईकोर्ट ने सीएमडी कॉलेज का तर्क स्वीकार करते हुए सीमांकन तक किसी भी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन होने के बाद भी नगर निगम की जमीन पर आलीशान कांपलेक्स बना दिया गया है। इसे अभी बंद कर रखा गया है। सोमवार को नैक की टीम को इस कथित स्मार्ट क्लॉस को नहीं दिखाया गया है। इससे साफ हो गया है कि यहां किसी तरह का स्मार्ट क्लॉस नहीं बनाया गया है। यह कांपलेक्स सीएमडी कॉलेज के चेयरमैन संजय दुबे का प्राइवेट है। इस तरह से हाईकोर्ट को भी धोखे में रखा गया है। संजय दुबे का निजी कांपलेक्स होने की बात को बल इसलिए भी मिल रहा है, क्योंकि नैक की टीम को कॉलेज के पीछे की बिल्डिंग को निरीक्षण कराया गया और उस समय सीएमडी कॉलेज प्रबंधन की ओर से इस बिल्डिंग को स्र्मार्ट क्लॉस बताया गया।
नैक की टीम के सवालों का जवाब नहीं दे पाया प्रबंधन
नैक की टीम ने सीएमडी कॉलेज प्रबंधन से सवाल दागा कि कॉलेज को इतनी आय बताई जा रही है तो इसका स्रोत क्या है, जो छात्र फेल हो जाते हैं उनके लिए क्या किया जाता है। इन सवालों का जवाब प्रबंधन नहीं दे पाया। यही नहीं, टीम के सामने आय-व्यय का ब्योरा भी पेश नहीं किया गया। जिन छात्रों को एलुमिनी के तौर पर लाया गया है, वे भी कॉलेज की व्यवस्था से असंतुष्त नजर आए। एलुमिनी छात्रों ने भी अपना अनुभव टीम को शेयर किया है। पूरे मामले की शिकायत करने के लिए दस्तावेज जुटा लिए गए हैं। इसकी शिकायत जल्द ही नैक टीम और यूजीसी से की जाएगी।
(हाईकोर्ट में पेश किए गए फर्जी दस्तावेज और हाईकोर्ट के निर्णय की कॉपी आजकल के पास सुरक्षित है।)