सौतेली मां को अनुकंपा नियुक्ति… हाई कोर्ट high court पहुंचा मामला… इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से मांगा जवाब… पूछा- बताओ ऐसा कौन सा नियम है…

यदि उनके पति के देहांत के बाद उनके जीवन में कोई आर्थिक संकट आया भी हो तो ख़तम हो चूका था, इसीलिए वे अपात्र की श्रेणी में आती हैंI इंदिरा गाँधी कृषि विश्ववद्यालय के रजिस्ट्रार द्बारा जब शुभम शर्मा के आवेदन को निरस्त करके उसी आदेश में जब गीता शर्मा को नियुक्ति दी गयी।

बिलासपुर। सरकार द्बारा जारी की गई अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया को नजरंदाज करने और दिवंगत शासकीय सेवक के एक मात्र पुत्र (27 वर्ष) को अनुकंपा नियुक्ति के लाभ से वंचित कर विधवा सौतेली मां (55 वर्ष) की पात्रता को परखे बिना अनुकंपा नियुक्ति का लाभ दिए जाने के मामले में हाईकोर्ट High Court ने उच्च शिक्षा विभाग के सचिव, indira-gandhi-agricultural-university और निजी प्रतिवादी को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब माँगा है।

मामला इस प्रकार है कि इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में सहायक वर्ग दो में पदस्थ दिवंगत श्री राकेश कुमार शर्मा की दिनांक 9.9.2०17 को मृत्यु हो गयी थी। जिसके बाद उनके पुत्र शुभम शर्मा द्बारा अनुकंपा नियुक्ति के लिए निर्धारित प्रपत्र में दिनांक 15.11.2017 को indira-gandhi-agricultural-university रायपुर के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया गया।

दिवंगत शासकीय सेवक की पहली पत्नी का वर्ष 2013 में देहांत हो गया था, जिसके बाद वर्ष 2017 में उन्होंने गीता शर्मा, जिनके पहले पति ने आत्महत्या कर ली थी, से दूसरी शादी करी थी। दिवंगत राकेश कुमार शर्मा के मृत्यु के तेरहवें दिन, उनकी दूसरी पत्नी गीता शर्मा अपने सौतेले बेटे, सास और ससुर को छोड़कर मायके चली गयी। गीता शर्मा द्बारा मृत्यु के करीबन चार साल बाद तक निर्धारित प्रपत्र में आवेदन नहीं जमा किया गया था, जबकि शुभम शर्मा द्बारा प्रथम आवेदन के बाद लगातार इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को अनुकंपा नियुक्ति के लिए स्मरण पत्र लिखे गए, जिस पर यूनिवर्सिटी द्बारा शुभम शर्मा से अपनी सौतेली माँ से अनापत्ति लाने को कहा जाने लगा। वर्ष 2०21 में शुभम शर्मा द्बारा उनके आवेदन पर सुनवाई ना होने से व्यथित होकर उनके द्बारा माननीय हाई कोर्ट में याचिका पेश की गयी थी जिसमे कोर्ट ने 6० दिनों में याचिकर्ता के आवेदन पर सुनवाई करने कहा था।

मामले नें तब तुक पकड़ा जब indira-gandhi-agricultural-university रायपुर के रजिस्ट्रार द्बारा दिवंगत शासकीय सेवक के पुत्र के आवेदन को निरस्त करते हुए उसी आदेश में आगे गीता शर्मा (विधवा) को ही अनुकम्पा नियुक्ति भी दे दी गयीI शुभम शर्मा द्बारा आपत्ति जताई जाने पर उन्हें सम्बंधित विभाग द्बारा पत्राचार करते हुए यह बोला गया कि गीता शर्मा नें अनुकम्पा नियुक्ति पूर्व घोषणा पत्र में दिवंगत शासकीय सेवक के परिवार का भरण पोषण करने का वचन दिया हैI और अनुकम्पा नियुक्ति के निर्देशों में विधवा को अनुकम्पा नियुक्ति के मामले में प्रथम प्राथमिकता होने के कारण उन्हें 13.01.2022 को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान कर दी है।

कुछ माह बाद दिवंगत के पुत्र और दिवंगत के माता और पिता द्बारा indira-gandhi-agricultural-university रायपुर के रजिस्ट्रार को निवेदन किया गीता शर्मा अपने सौतेले बेटे, सास और ससुर की अनुकम्पा नियुक्ति उपरांत किसी तरीके की आर्थिक सहायता नहीं कीI जिसके बाद यूनिवर्सिटी द्बारा गीता शर्मा को सुनवाई का मौका दिया गया जिसमे उन्होंने अपने सौतेले बेटे को वयस्क बताते हुए उनकी और बाकी परिवार को बताया की वे गीता शर्मा पर आश्रित नहीं माने जा सकतेI गीता शर्मा के जवाब के कुछ महीने बाद तक भी जब इंदिरा गाँधी कृषि विश्विद्यालय द्बारा कोई फैसला नहीं लिया गया, जिससे व्यथित होकर उन्होंने पुन: अपने अधिवक्ता अनादि शर्मा द्बारा हाई कोर्ट High Court में याचिका पेश करी है।

याचिका की सुनवाई माननीय High Court के जस्टिस  पीपी साहू के यहाँ हुईI याचिकर्ता के अधिवक्ता अनादि शर्मा द्बारा याचिका में तर्क दिया गया कि अनुकम्पा नियुक्ति के निर्देश दिनांक 14.06.2013 और समय समय पर किये गए संशोधनों का दिनांक 23.02.2019 के संकलन के नियम क्रमांक 5 में विधवा को अनुकम्पा नियुक्ति में प्रथम पात्रता के साथ उन विधवा के अन्य नियमों के कारण अपात्र होने की स्तिथि में, अन्य परिवार के सदस्य जो दिवंगत शासकीय सेवक पर आश्रित थे उनके अनुकम्पा नियुक्ति के आवेदन विचारणीय होंगेI

इसके अलावा नियम 15 (2) में अनुकम्पा नियुक्ति हेतु निर्धारित प्रपत्र में आवेदन पत्र शीघ्र अतिशीघ्र अधिकतम तीन माह के भीतर विभाग में जमा करने का वर्णन हैI क्यूंकि गीता शर्मा द्बारा उनके पति के मृत्यु के करीबन 4 साल बाद अनुकम्पा नियुक्ति का आवेदन जमा किया गया जिससे यह समझ आता है कि यदि उनके पति के देहांत के बाद उनके जीवन में कोई आर्थिक संकट आया भी हो तो ख़तम हो चूका था, इसीलिए वे अपात्र की श्रेणी में आती हैंI इंदिरा गाँधी कृषि विश्ववद्यालय के रजिस्ट्रार द्बारा जब शुभम शर्मा के आवेदन को निरस्त करके उसी आदेश में जब गीता शर्मा को नियुक्ति दी गयी।

तब शुभम शर्मा द्बारा 2017 के आवेदन के बारे में जानकारी लुप्त करते हुए उनके बाद में दिए स्मरण पत्र को ही अनुचित माध्यम से भेजा हुआ आवेदन बता दिया गया जो संदेहास्पद हैI इसके अलावा नियम 15 (13) में सीधा उल्लेख है कि अनुकम्पा नियुक्ति के किसी भी आवेदक द्बारा अगर परिवार के अन्य सदस्यों का समुचित भरण पोषण करने वाले घोषणा पत्र का उल्लंघन होता है तो उनकी अनुकम्पा नियुक्ति समाप्त की जा सकेगीI

अधिवक्ता अनादि शर्मा द्बारा कोर्ट को यह बताया गया कि अनुकम्पा नियुक्ति दिवंगत शासकीय सेवक के परिवार में उस सेवक के मृत्यु उपरांत आये आर्थिक संकट से निपटने के लिए सामान्य भर्ती नियमों में एक अपवाद है और इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्बारा नियमों की आड़ में गीता शर्मा को नियमों में दिए आवेदन जमा करने के सालों बाद आवेदन जमा कराया गया।

अनुकम्पा नियुक्ति का लाभ दिया जाकर उन्हें सहायक वर्ग तीन बनाकर पं. किशोरी लाल शुक्ला उद्यानिकी महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, राजनंदगांव में पदस्थ कर दिया गयाI तथा indira-gandhi-agricultural-university रायपुर द्बारा गीता शर्मा के जवाब में उनके घोषणा पत्र के उल्लंघन को स्वयमेव मान लिया गया तब भी यूनिवर्सिटी द्बारा आज दिनांक तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है, और याचिकाकर्ता जिसपर चार साल से आर्थिक विपत्ति उनके पिता के देहांत उपरांत बनी थी।

जस के तस अभी भी बनी हुई हैI याचिका में यह भी बताया गया कि गीता शर्मा की उम्र को देखते हुए उन्हें सर्विस के बाद पेंशन और अन्य स्कीम का लाभ नहीं मिल सकेगा जबकि याचिकर्ता जो 27 वर्ष के हैं, अगर उन्हें अनुकम्पा नियुक्ति मिलती है तो वे उनके उज्जवल भविष्य के लिए भी बेहतर होगाI याचिका के सुनवाई के उपरांत High Court ने उच्च शिक्षा विभाग के सचिव, indira-gandhi-agricultural-university और अन्य से 4 हफ्ते में जवाब माँगा है जिसके बाद मामले में आगे कि सुनवाई होगी।