जिस फिल कोल बेनिफिकेशन की वाशरी के विस्तार की जनसुनवाई 20 को, उसके संचालक पर है एफआईआर का आदेश…

जिस फिल कोल बेनिफिकेशन की वाशरी के विस्तार की जनसुनवाई 20 को, उसके संचालक पर है एफआईआर का आदेश

बिलासपुर। घुटकू में जिस फिल कोल बेनिफिकेशनकी वाशरी के विस्तार के लिए 2० अप्रैल को जनसुनवाई कराई जा रही है, उसके संचालक ने रायगढ़ जिले में फर्जी तरीके से भू-जल दोहन की एनओसी ली थी। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने कूटरचित दस्तावेजों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश भी दिया था, लेकिन ऊंची पहुंच और रसूख के कारण फाइल अब तकदबाकर रखी गई है।

रायगढ़ जिले के घरघोड़ा क्षेत्र में कोयला खदानों के कारण भूजल स्तर नीचे गिरते जा रहा है, लेकिन कोलवाशरी के लिए बोरवेल से बेहिसाब पानी देने की अनुमति एक झटके में दी जा रही है। उद्योग का एक पुराना मामला भी उजागर हो चुका है, जिसमें बताया गया है कि पूर्व में रायगढ़ में कोलवाशरी की स्थापना के समय बोरवेल खनन के लिए पीएचई से ली गई अनुमति फर्जी है।

दरअसल, वाशरी संचालक प्रदीप झा ने 2००9 में सहायक अभियंता पीएचई उपखंड घरघोड़ा से दो बोरवेल खनन की एनओसी प्राप्त की थी। इस पत्र को पर्यावरण विभाग में जमा कर कोलवाशरी स्थापना की अनुमति ली गई थी। इसकी शिकायत बिलासपुर निवासी दिनेश सिह ने की थी। जांच की गई तो पीएचई सहायक अभियंता घरघोड़ा ने बताया कि ऐसी कोई भी एनओसी फिल कोल बेनिफिकेशन को जारी ही नहीं की गई थी।

इसके बाद मामला पीएचई और पर्यावरण विभाग के बीच झूलता रहा। दोनों ही विभाग कार्रवाई करने की जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालते रहे। अब उसी फर्जी एनओसी के जरिए खनन कराए गए बोरवेल से 52 किलोलीटर पानी रोज निकालने की तैयारी है। कंपनी संचालक ने पहले ही फर्जी एनओसी प्रस्तुत की थी और अब 2० हेक्टेयर में वाशरी का विस्तार किया जा रहा है।

घुटकू में वाशरी विस्तार की जनसुनवाई

2० को: फिल कोल बेनीफिकेशन के संचालक झा ने घुटकू स्थित कोलवाशरी के विस्तार की तैयारी कर ली है। इसकी जनसुनवाई के लिए प्रशासन ने 2० अप्रैल की तिथि तय की है। बता दें कि घुटकू स्थित वाशरी से निकल रहे प्रदूषण को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका लगी हुई है।

अफसरों के बीच घूमती रही फाइल

यह इतना गंभीर मामला है कि तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए थी। उद्योग के लिए बोरवेल खनन की अनुमति पीएचई से लेना अनिवार्य है। फिल कोल बेनिफिकेशन के फर्जी एनओसी मामले में एफआईआर होनी थी। सहायक अभियंता को जांच के आदेश 2० फरवरी 2०19 को दिए गए। एनओसी का परीक्षण कर एई ने ईई पीएचई को प्रतिवेदन दिया, जिसमें नलकूप खनन के लिए दी गई एनओसी को फर्जी बताया गया। इसके बाद ईई ने अधीक्षण अभियंता को पत्र लिखकर कार्रवाई पर्यावरण संरक्षण विभाग द्बारा किए जाने की अनुशंसा की। तब से मामला ऐसे ही लटका हुआ है। दोनों विभागों ने गड़बड़ी पकड़े जाने के बावजूद कार्रवाई नहीं की है।

कोई ग्रीन बेल्ट ही नहीं

फिल कोल बेनिफिकेशन की स्थापना के लिए पहले मिली अनुमति में ग्रीन बेल्ट और प्रदूषण को रोकने की शर्तें थीं। वाशरी के आसपास का क्षेत्र कोल डस्ट से पट गया है। यहां ग्रीन बेल्ट का कोई अता-पता नहीं है। पहले नवापारा टेंडा में 1.643 हे. में वाशरी की अनुमति दी गई थी।

नए प्रस्ताव में 8.1० हे. भूमि पर विस्तार किया जाना है। इसमें से 33 प्रश क्षेत्र 2.7 हे. में ग्रीन बेल्ट का विकास होना है। पहले के ग्रीन बेल्ट का विकास नहीं करने पर कार्रवाई होनी थी लेकिन अब वाशरी का विस्तार कराया जा रहा है।