मनरेगा: जीपीएम जिले में 64 करोड़, 67 लाख 40 हजार से होंगे 3977 विकास कार्य… मजदूरों को मिलेंगे 40 करोड़ 28 लाख 57 हजार रुपए का रोजगार… अब बदहाल गांवों की बदल जाएगी तस्वीर…
बिलासपुर। नवगठित जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के तीन विकासखंडों की 166 ग्राम पंचायतों की तस्वीरें जल्द ही बदलने वाली हैं। इन गांवों के विकास के लिए महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत 64 करोड़ 67 लाख 40 हजार रुपए खर्च किए जाएंगे। इससे वहां के मजदूरों को 40 करोड़ 28 लाख 57 हजार रुपए का रोजगार मिलेगा। जिला पंचायत प्रशासन ने योजना के तहत होने वाले कार्यों को प्रशासनिक मंजूरी दे दी है। योजना के तहत जो विकास कार्य किए जाएंगे, उन्हें किए जाने की मांग ग्राम पंचायतों ने प्रस्ताव पारित कर की थी। विकास कार्य अगले महीने से शुरू होंगे।
मनरेगा के तहत हर ग्राम पंचायत के विकास के साथ ही वहां के मजदूरों को उनके गांव में ही रोजगार देने की गारंटी है, ताकि रोजी-रोटी की तलाश में उन्हें पलायन करने की मजबूरी न हो। अब तक गौरेला, पेंड्रा और मरवाही ब्लॉक बिलासपुर जिले का अंग था। बड़ा जिला होने के कारण अनुसूचित क्षेत्र के गांवों के विकास में कई बाधाएं आ रही थीं। इसे ध्यान में रखते हुए कांग्रेस सरकार ने 12 फरवरी को तीनों ब्लॉकों को शामिल कर नया जिला बनाया है। नए जिले में कुल 166 ग्राम पंचायतें शामिल हैं। प्रदेश की कांग्रेस सरकार नवगठित जिले के विकास में किसी तरह की कसर नहीं छोड़ रही है। स्वयं सीएम भूपेश बघेल नए जिले के विकास को लेकर सजग हैं। इसी का नतीजा है कि राज्य शासन ने करोड़ों रुपए के विकास कार्य नए जिले के लिए स्वीकृत किए हैं। नया जिला बनने के बाद से गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में लगातार मंत्रियों और आला अधिकारियों का दौरा हो रहा है। सरकार में बैठे मंत्री विभिन्न कार्यों का शिलान्यास, लोकार्पण कर रहे हैं। दूसरी ओर, जिला पंचायत का गठन नहीं होने के कारण नए जिले में विकास की गंगा बहाने का जिम्मा भी जिला पंचायत बिलासपुर के कंधों पर है। नए जिले की तेज गति से विकास करने के लिए जिला पंचायत बिलासपुर ने सरकार की मंशा के अनुरूप अलग से योजना बनाई है। जिला पंचायत प्रशासन ने नए जिले के पंचायत प्रतिनिधियों से उनके क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए पहले ही प्रस्ताव मंगा लिए थे। वहां प्रस्ताव आते ही जिला पंचायत प्रशासन ने हाल ही में 64 करोड़ 67 लाख 40 हजार रुपए के 3977 काम स्वीकृत किए हैं। इसमें सामग्री पर 24 करोड़ 38 लाख 83 हजार रुपए खर्च किए जाएंगे। जिला पंचायत ने मजदूरों को उनके गांव में ही अधिक दिनों तक रोजगार मिल सके, इसे भी ध्यान में रखा है। गांवों में होने वाले विकास कार्यों में काम करने वाले मजदूरों को 40 करोड़ 28 लाख 57 हजार रुपए की मजदूरी का भुगतान किया जाएगा।
ये कार्य होंगे
उचित मूल्य की दुकान सह गोदाम निर्माण, पंचायत भवन निर्माण, मुक्तिधाम सह शेड निर्माण, आंगनबाड़ी निर्माण, भूमि विकास कार्य, पचरी निर्माण, तालाब गहरीकरण, कुआं, डबरी, नाली निर्माण, पुलिया, स्टापडेम, चेकडेम, वाटरटेंक, ब्रशवुड चेकडेम, आवर्ती चराई कार्य, स्लैब कल्वर्ट, सीपीटी, डब्ल्यूएटी निर्माण, गैबियन स्ट्रक्चर, गलि प्लेग, मवेशियों के लिए आश्रय निर्माण, कच्चा प्लेटफार्म, धान संग्रहण चबूतरा निर्माण, बाजार शेड, नर्सरी रोपणी कार्य, वर्मी कंपोस्ट, नाडेप टंकी, दुधारू पशु पक्का प्लेटफार्म, मुर्गी पालन शेड, अंजोला टैंक, सुअर पालन शेड व बकरी पालन शेड का निर्माण।
सीईओ बोले- सारे कार्य मजदूरों से कराएंगे, न कि मशीनों से
जिला पंचायत सीईओ गजेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि मनरेगा के तहत छत्तीसगढ़ प्रदेश में 190 रुपए प्रतिदिन मजूदरी दी जाती है। योजना के तहत एक परिवार को 150 दिन का रोजगार प्रदान किया जाता है। उन्होंने कहा कि जिले में जिन कामों को प्रशासनिक स्वीकृति मिली है, उन कामों में पूरी तरह पारदर्शिता बरती जाएगी। मैं खुद इन कार्यों का आकस्मिक निरीक्षण करूंगा। सारे कार्य मजदूरों से कराए जाएंगे, न कि मशीनों से।