आजकल.info की खबर का असर: जरहाभाठा स्थित आदिवासी हॉस्टल के क्वैरेंटाइन सेंटर में बंटा नाश्ता… मासूम बच्चों को मिली राहत… पर सवाल यह कि अब फंड कहां से आया…

बिलासपुर। जरहाभाठा स्थित आदिवासी हॉस्टल के क्वैरेंटाइन सेंटर में रुके हुए मजदूर परिवारों के लिए बुधवार की सुबह खुशियां लेकर आया। करीब पांच दिन बाद उन्हें सुबह नाश्ता का दर्शन हुआ। नाश्ता करने के बाद बच्चों के चेहरे खिल गए। पर सवाल यह उठ रहा है कि पांच दिनों तक फंड नहीं होने का हवाला देकर नाश्ता नहीं दिया जा रहा था तो आज नाश्ते के लिए कहां से फंड आया।

www.aajkal.info ने अपने 26 मई के अंक में आदिवासी हॉस्टल स्थित क्वैरेंटाइन सेंटर में रुके हुए मजदूर परिवारों की व्यथा को लेकर एक खबर प्रकाशित की थी, जिसमें बताया गया था कि बीते 21 और 22 मई को अहमदाबाद से 518 मजदूरों को श्रमिक स्पेशल ट्रेन से बिलासपुर लाया गया। इन मजदूरों को आदिवासी विभाग के जरहाभाठा स्थित हॉस्टल में ठहराया गया है। मजदूर परिवारों के साथ करीब 100 बच्चे हैं। आजकल.इंफो की टीम ने मंगलवार सुबह आदिवासी हॉस्टल स्थित क्वैरेंटाइन सेंटर का जायजा लिया तो पता चला कि मजदूर यहां आकर खुद को कोस रहे हैं। एक मजदूर ने बताया कि जब से वे यहां आए हैं, तब से वे सुबह का नाश्ता क्या होता है, यह जानते ही नहीं। जबकि हर मजदूर परिवार में छोटे-छोटे बच्चे हैं। दोपहर एक बजे के आसपास भोजन परोसा जाता है, वह भी आधा पेट।

एक मजदूर ने बताया कि सुबह से दोपहर 1 बजे तक बच्चे भूख के कारण बेहाल रहते हैं। बच्चे नाश्ता की मांग करते हैं, लेकिन यहां नाश्ता बनता ही नहीं। बच्चों को किसी तरह पानी पिलाकर दोपहर तक इंतजार कराते हैं। तब तक बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल हो जाता है। एक मजदूर ने बताया कि क्वैरेंटाइन सेंटर में नियुक्त अधिकारी-कर्मचारियों से जब नाश्ता की मांग करते हैं तो वे सीधे हाथ खड़े कर देते हैं। वे दो टूक कहते हैं कि विभाग से उन्हें न तो नाश्ता बनाने के लिए सामान दिया गया है और न ही फंड। दोपहर और रात में खाना बनाने के लिए सामान दिया गया है, जिसे बनाकर दिया जाता है। खबर प्रकाशित होते ही जिला प्रशासन महकमे में हड़कंप मच गया।

बताते हैं कि कलेक्टर डॉ. संजय अलंग से सुबह नाश्ता नहीं देने के मामले को गंभीरता से लिया और आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त सीएल जायसवाल को तलब किया। उन्होंने उन्हें दो टूक शब्दों में कहा कि आदिवासी हॉस्टल में रुके हुए मजदूर परिवारों को हर हाल में नाश्ता मिलना चाहिए। कलेक्टर के निर्देश पर सहायक आयुक्त जायसवाल ने बुधवार सुबह करीब 9 बजे नाश्ता भेजवाया। इसमें केला, ब्रेड, टोस्ट और बिस्किट शामिल थे।

बता दें कि मंगलवार को सहायक आयुक्त जायसवाल ने मीडिया को बयान दिया था कि ये मजदूर मस्तूरी क्षेत्र के हैं। मस्तूरी तहसील से इन्हें दो टाइम भोजन देने के लिए फंड आया है। इसलिए दो टाइम भोजन दे रहे हैं। नाश्ता के लिए कोई फंड नहीं है। यहां पर सवाल यह उठ रहा है कि आखिर बुधवार को नाश्ते के लिए फंड कहां आया।