बिलासपुर रोटरी क्लब के अध्यक्ष और सीएमडी कॉलेज के चेयरमैन संजय दुबे का दुस्साहस देखिए… निगम की अरबों रुपए बेशकीमती जमीन पर पहले किया कब्जा, अब बना रहे कांपलेक्स… सब कुछ जानने के बाद भी निगम अफसरों की भूमिका संदिग्ध…
बिलासपुर। नगर पालिक निगम बिलासपुर की अरबों रुपए मूल्य की बेशकीमती जमीन पर बिलासपुर रोटरी क्लब के अध्यक्ष और सीएमडी कॉलेज के चेयरमैन संजय दुबे द्वारा कब्जा कर अवैध कांपलेक्स बनाया जा रहा है, जबकि मामले की जानकारी होने के बावजूद भी निगम प्रशासन मौन है। इससे निगम के कुछ बड़े अधिकारियों की मिलीभगत की बू आ रही है।
नगर निगम आयुक्त को की गई शिकायत के अनुसार जूना बिलासपुर में पटवारी हल्का नंबर 36 के अंतर्गत भूमि रकबा 0.3240 हेक्टेयर (81 डिसमिल) नगर पालिक निगम बिलासपुर के नाम पर दर्ज है, जिसमें से 54 डिसमिल जमीन पर बिलासपुर रोटरी क्लब के अध्यक्ष और सीएमडी कॉलेज के चेयरमैन संजय दुबे ने पहले कब्जा किया और अब उस जमीन पर गुपचुप तरीके से अवैध कांपलेक्स का निर्माण किया जा रहा है। वर्तमान बाजार भाव में जमीन की कीमत एक अरब रुपए से अधिक आंकी जा रही है।
नगर निगम की बिलासपुर शहर में बेशकीमती जमीन विभिन्न क्षेत्रों में है, जहाँ बड़े-बड़े रुतबेदार और भू-माफियाओं ने जबरिया कब्जा कर अपने अधीन रखा हुआ है, जहां कुछ जमीन पर न्यायलयीन प्रक्रिया भी सुचारू रूप से हो रही है, लेकिन ताज़ातरीन मामला बिलासपुर रोटरी क्लब के अध्यक्ष व सीएमडी कॉलेज के चैयरमेन संजय दुबे का है, जो अपने रुतबे और पहुंच के दम पर नगर निगम की जमीन पर कब्जा कर कॉम्प्लेक्स बना रहे हैं।
इसकी शिकायत एक समाजसेवी ने नगर निगम आयुक्त से की है, लेकिन शिकायत के एक माह बाद भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है। इससे नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत के दावे को बल मिल रहा है। बताते चलें कि बिलासपुर नगर निगम को शहर विकास के लिए किसी व्यक्तिगत (निजी) जमीन के साथ-साथ खुद की जमीन की बहुत आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में निगम की जमीन पर आंखों के सामने खुलेआम कब्जा होना और कॉम्लेक्स निर्माण करना बिना सांठ-गांठ के संभव नहीं मालूम होता। इस मामले में पक्ष जानने के लिए रोटरी क्लब के अध्यक्ष संजय दुबे से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन लगातार रिंग जाने के बाद भी उन्होंने मोबाइल कॉल रिसीव नहीं किया।
निगम की जमीन का नक्शा कैसे पास हुआ
मामले में गंभीरता से देखा जाए तो निगम प्रशासन सीमा क्षेत्र में आने वाली जमीन पर निर्माण के पूर्व नगर निगम से नक्शा पास कराया जाता है, जिसके बाद निर्माण चालू किया जाता है। सवाल यह उठता है कि क्या नगर निगम प्रशासन अपने राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नाम की ज़मीन के लिए किसी अन्य व्यक्ति विशेष के नाम नक्शा पास किस आधार पर और क्यों करेगा। अगर नक्शा पास नहीं हुआ है तो इतने बड़े स्तर पर कॉम्प्लेक्स का निर्माण कैसे हो गया। क्या इसकी जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों की नहीं बनती।