एसईसीआर जीएम की मेहरबानी देखिए… भारत सरकार ने जिनका ट्रांसफर किया.. रिलीव करने के बजाय सौंप दिया बड़े पद का अतिरिक्त प्रभार… सीपीआरआर का ऊपर से तुर्रा यह…

बिलासपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के परचेज डिपार्टमेंट में पदस्थ एक अफसर पर जोन के महाप्रबंधक खासे मेहरबान नजर आ रहे हैं। सालों से संवेदनशील पर बैठे इस अफसर को ट्रांसफर के बाद रिलीव करने के बजाय बड़े पद का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया है। ऊपर से जोन के सीपीआरओ साकेत रंजन का तुर्रा यह कि जब उनकी जगह किसी अन्य अफसर की पोस्टिंग होगी तो उन्हें रिलीव कर दिया जाएगा। बड़े पद का अतिरिक्त प्रभार सौंपने के सवाल पर उनका कहना था कि वे सीनियर मोस्ट हैं। इसलिए उन्हें प्रभार सौंपा गया है।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन में किसी भी सामग्री की खरीदी का जिम्मा परचेस डिपार्टमेंट की होती है। यानी कि बिलासपुर, रायपुर और नागपुर मंडल के लिए किसी भी सामान की खरीदी यहीं से की जाती है। लागत करोड़ों रुपए से कम नहीं होती। इस डिपार्टमेंट में विभिन्न विभागों के एचओडी बैठते हैं, जिनकी अनुशंसा के आधार पर सामान की खरीदी की जाती है। www.aajkal.info के पास उपलब्ध दस्तावेज के अनुसार रेल मंत्रालय ने 29 जून 2020 को अलग-अलग जोन में संवेदनशील पद बैठे 5 अफसरों का ट्रांसफर आर्डर जारी किया है। ट्रांसफर लिस्ट पर नजर डालें तो पता चलता है कि साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे के परचेज डिपोर्टमेंट में मुख्य सामग्री प्रबंधक के पद पदस्थ पीकेबी मेश्राम का ट्रांसफर उसी पद पर ईस्ट कोस्ट रेलवे भुवनेश्वर किया गया है। रेलवे से जुड़े सूत्रों के अनुसार रेलवे बोर्ड ने जिन पांच अफसरों का ट्रांसफर आदेश जारी किया है, मेश्राम को छोड़कर सभी अन्य अफसरों को नई जगह के लिए रिलीव कर दिया गया है। रेलवे से जुड़े सूत्र बताते हैं कि जब से बिलासपुर रेलवे जोन का गठन हुआ है, तब से मेश्राम बिलासपुर में ही विभिन्न पदों पर पदस्थ हैं, जबकि रेलवे की गाइड लाइन के अनुसार किसी भी संवेदनशील पद पर किसी भी अधिकारी को तीन साल से अधिक समय पर नहीं रखा जा सकता। करोड़ों रुपए की खरीदी का जिम्मा संभालने वाले विभाग में पदस्थ मेश्राम को रिलीव नहीं करने को लेकर चर्चा छिड़ गई है। परचेज डिपोर्टमेंट में चर्चा है कि मेश्राम के इशारे पर खरीदी की फाइल आगे बढ़ती है और उनके इशारे पर करोड़ों रुपए की खरीदी की जाती है।

रिलीव करने के बजाय दे दिया इनाम

जोन के परचेज डिपार्टमेंट में सीएमएम (चीफ मटेरियल मैनेजर) के चार पद स्वीकृत थे। हाल ही में भारत सरकार ने यहां का एक पद समाप्त कर दिया। यानी कि अब यहां तीन ही पद स्वीकृत हैं। इसी संदर्थ में चौथे पद पर बैठे सीएमएम मेश्राम का रेलवे बोर्ड ने 29 जून को ट्रांसफर आदेश जारी किया था। इसका भी दस्तावेज www.aajkal.info के पास उपलब्ध है। इनसे पहले पीसीएमएम हरीश गुप्ता का ट्रांसफर किया गया था, लेकन उन्हें रिलीव नहीं किया गया था। तब भी उनकी रिलीविंग को लेकर अलग से चर्चा छिड़ी हुई थी। 29 जून 2020 को जब मेश्राम का ट्रांसफर आदेश जारी हुआ तो परचेज डिपार्टमेंट में पदस्थ अफसरों को लगा कि दोनों अफसरों को अब एक साथ रिलीव किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बता दें कि सीएमएम से बड़ा पद पीसीएमएम होता है। सीएमएम के बाद पीसीएमएम के पद पर पदोन्नति मिलती है। यानी कि पीसीएमएम के पद पर पदोन्नति के बाद ही मेश्राम इस कुर्सी पर बैठने के हकदार हैं। चर्चा है कि रेलवे जीएम पीसीएम मेश्राम पर इतने मेहरबान हैं कि बिलासपुर परचेज कार्यालय में ही रखने के लिए उन्हें पीसीएमएम की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपते हुए हरीश गुप्ता को रिलीव कर दिया। जबकि कायदे से दोनों अफसरों को रिलीव किया जाना था।

कर्मचारी ने आर्डर नहीं लिया तो घर में चस्पा कराया आदेश

परचेज डिपार्टमेंट से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों बिलासपुर परचेज कार्यालय में पदस्थ एक लिपिक का ट्रांसफर रायपुर किया गया था। विकलांग होने के कारण उन्होंने वहां जाने में असमर्थता व्यक्त की और रिलीविंग आर्डर लेने से इनकार कर दिया तो अफसरों के इशारे पर उसके घर में रिलीविंग आर्डर चस्पा करा दिया गया।

सीपीआरओ ने दी ये सफाई

सीपीआरओ साकेत रंजन का कहना है कि मेश्राम का ट्रांसफर हुआ है, लेकिन अभी उनकी जगह पर किसी अन्य की पोस्टिंग नहीं हुई है। इसलिए उन्हें रिलीव नहीं जा रहा है। सीपीएमएम के पद का अतिरिक्त् प्रभार सौंपने के सवाल पर उनका तर्क था कि मेश्राम सीनियर मोस्ट हैं। इसलिए उन्हें यह प्रभार सौंपा गया है। उन्होंने स्वीकार किया कि परचेज डिपार्टमेंट में सीएमएम के चार पोस्ट स्वीकृत थे, जिसमें एक पद को समाप्त कर दिया गया है। अब यह सवाल उठता है कि जब पद ही समाप्त हो गया है तो आखिर मेश्राम को पीसीएमएम का अतिरिक्त प्रभार देकर उपकृत क्यों किया जा रहा है।