विधायक की गाड़ी का चालान काटा… तो आईएएस अफसर का कर दिया ट्रांसफर… यूपीएससी की परीक्षा पास करते ही आई थीं चर्चा में…
नई दिल्ली। देश में इन दिनों तेजस्वी राणा नाम की एक आईएएस अचानक से चर्चा में आ गई हैं। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में उपखंड अधिकारी के पद पर कार्यरत आईएएस तेजस्वी राणा का अचानक तबादला हुआ है। माना जा रहा है कि उनका तबादला इसलिए हुआ है, क्योंकि उन्होंने लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले एक कांग्रेस विधायक के कार्यकर्ता की गाड़ी का चालान काट दिया था। विधायक खुद उस गाड़ी में बैठे थे और उसी दिन राणा ने सब्जी मंडी में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने पर व्यापारियों को डांट फटकार भी लगाई थी और व्यापारियों ने जब पास दिखाए तो राणा ने उनके पास फाड़ दिए थे।
क्या अच्छा काम कर रहे लोगों को बनाया जा रहा निशाना
तेजस्वी राणा की तैनाती चित्तौड़गढ़ उपखंड से तबादला कर संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी हेल्थ इंश्योरेंस एजेंसी के पद पर कर दिया गया था। जिस पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है, वहीं राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया का भी कहना है कि सरकार अच्छा काम कर रहे अधिकारियों को निशाना बना रही है।
राष्ट्रीय स्तर पर 12वां रैंक
आइए जानते हैं कि तेजस्वी राणा कौन है और कुरुक्षेत्र चित्तौड़गढ़ उपखंड से उनका तबादला कैसे हुआ। कुरुक्षेत्र के शिक्षा जगत में तेजस्वी राणा ने यूपीएससी की परीक्षा में राष्ट्रीय स्तर पर 12वां रैंक हासिल किया था। यह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर डॉ. कुलदीप राणा और डॉ. सुनीता राणा की बेटी है। उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर आईएएस की परीक्षा पास की और इन्होंने यह रैंक घर पर तैयारी करके हासिल किया था। उन्होंने घर पर रहकर ही सिर्फ एक साल के अंदर ही यूपीएससी के तैयारी कर परीक्षा में बैठी थी। 1 जून 2017 से पहले तेजस्वी को कोई नहीं जानता था, लेकिन इसके बाद कुरुक्षेत्र में तेजस्वी सबसे चर्चित चेहरा बन गई।
तेजस्वी राणा ने अपने माता-पिता के गाइडेंस में और घर पर रहकर तैयारी की और यह बता दिया कि लगन और मेहनत से सब मुमकिन है। इसके अलावा उन्होंने ऑनलाइन गाइडेंस का भी सहारा लिया। तेजस्वी हमेशा से ही प्रशासनिक सेवा में जाना चाहती थीं।
यूपीएससी की परीक्षा देने की अलग है कहानी
यूपीएससी परीक्षा में बैठने का भी उनकी अलग एक कहानी है। कुरुक्षेत्र के डीएवी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से स्कूलिंग पूरी कर करने के बाद तेजस्वी बीएससी इकोनॉमिक्स करने के लिए आईआईटी कानपुर चली गई थी। आईआईटी कानपुर में कई बार आईएएस अधिकारी आते थे, उनकी बातें और निर्णय लेने की क्षमता ने तेजस्वी को निर्णय लेने को मजबूर कर दिया कि यूपीएससी की तैयारी जरूर करेगी।
जिसके बाद साल 2015 में तेजस्वी ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन उस समय इतनी तैयारी ना होने पर वे इसे नहीं निकाल पाईं। पर तेजस्वी ने हिम्मत नहीं हारी और दोबारा परीक्षा में बैठने की तैयारी शुरू कर दी और प्रशासनिक सेवा में 12वीं स्थान हासिल कर ऑफिसर बनी तो उनका सिर्फ मकसद यही खत्म नहीं हुआ। उन्होंने ठान लिया कि वह अपने देश के लिए काम करेंगी और ऐसा मॉडल तैयार करेंगी जिससे अन्य युवा भी देख कर कुछ सीख ले सके।