यह खबर हैरान कर देने वाली है… एक ऐसा सुल्तान, जो 35 किलो खाना खा जाता था… उसके साथ सेक्स करते ही महिलाओं और लड़कियों की हो जाती भी मौत… जानिए उस शहंशाह की पूरी कहानी… मोदी ने वहीं पर फहराया झंडा…

वर्थेमा लिखते हैं कि जब भी बेगड़ा को किसी को मारना होता था तो वह उस व्यक्ति के सामने कपड़े उतारकर पान खाता था और थोड़ी देर बाद उस व्यक्ति पर थूक देता था। आधे घंटे के बाद उस व्यक्ति की मौत हो जाती।

महमूद बेगड़ा (Mahmood Begda) गुजरात का सुल्तान था। उसका पूरा नाम अबुल फत नासिर उद दीन महमूद शाह प्रथम था। उसके बारे बहुत कम लोग ही जानते हैं, लेकिन वह ऐसा सुल्तान था, जो 35 किलो खाना एक साथ खा जाता था। इतिहास के जानकार बताते हैं कि 11वीं शताब्दी में गुजरात के पावागढ़ में कालिका माता का मंदिर बनाया गया था। महमूद बेगड़ा 13 वर्ष की उम्र में सिहासन पर बैठा और 52 सालों (1459-1511 ईस्वी) तक शासन किया। कट्टर इस्लामी शासक बेगड़ा जहर खाने और राक्षसी भोजन खाने के लिए कुख्यात था।

काली माता के मंदिर के शिखर को 15वीं शताब्दी में गुजरात के सुल्तान महमूद बेगड़ा ने नष्ट कर दिया था। मंदिर के ऊपर पीर सदनशाह की दरगाह बनाई गई थी। महमूद बेगड़ा को जहरीला सुल्तान भी कहा जाता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बीते शनिवार को गुजरात के पावागढ़ में कालिका माता मंदिर में 500 साल बाद झंडा फहराया।

महमूद युद्ध जीतने के बाद राजाओं से इस्लाम कबूल करवाता था। वह गुजरात का छठा सुल्तान था। बेगड़ा गुजरात के सबसे शक्तिशाली शासकों में से एक था। बहुत ही कम समय में उसने जूनागढ़ और पावागढ़ जैसे क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था। ऐसा कहा जाता है कि जीत पर वह बंदी राजा से इस्लाम कबूल करवा लेता था और मना करने पर उसे मौत के घाट उतार देता था।

बेगड़ा ने 1472 में द्बारिका मंदिर को गिराने का आदेश दिया

बेगड़ा पर अपने शासन काल में पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित महाकाली मंदिर और द्बारिका मंदिर को गिराने का आरोप है। बेगड़ा ने 1472 में द्बारिका मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश दिया था, ताकि लोगों की आस्था हिदू भगवान के प्रति कम हो जाए। हालांकि इसे 15वीं शताब्दी में फिर से बनाया गया था। महमूद ने गिरनार, जूनागढ़ और चंपानेर के किलों को जीतकर बेगड़ा की उपाधि प्राप्त की। उनके शासन काल में कई अरबी ग्रंथों का फारसी में अनुवाद हुआ। उनके दरबारी कवि उदयराज थे, जो संस्कृत के कवि थे।

बेगड़ा के पूरे शरीर में जहर था

पुर्तगाली यात्री बाबोसा महमूद बेगड़ा के शासन काल में गुजरात आया था। बाबोसा ने अपनी पुस्तक ‘द बुक ऑफ दुरती बाबोसा वॉल्यूम 1’ में लिखा है कि बेगड़ा को बचपन से ही जहर पिलाया गया था, क्योंकि उनके पिता नहीं चाहते थे कि कोई उसे जहर से मार डाले।

बचपन में बेगड़ा को खाने के साथ थोड़ी मात्रा में जहर दिया जाता था, ताकि उसे कोई नुकसान न हो। बाद में बेगड़ा का पूरा शरीर जहरीला हो गया। उस दौरान बेगड़ा के शरीर पर बैठने से ही मक्खी मर जाती थी। यहां तक ​​कि उसके साथ सेक्स करने वाली लड़कियों और महिलाओं की भी मौत हो जाती थी।

इतालवी यात्री लुडोविको डि वर्थेमा की किताब ‘इटिनरारियो डि लुडोइको डि वर्थेमा बोलोग्नीस’ में जहर का जिक्र है। वर्थेमा लिखते हैं कि जब भी बेगड़ा को किसी को मारना होता था तो वह उस व्यक्ति के सामने कपड़े उतारकर पान खाता था और थोड़ी देर बाद उस व्यक्ति पर थूक देता था। आधे घंटे के बाद उस व्यक्ति की मौत हो जाती।

मूंछें सिर पर बांध लेते थे

बेगड़ा की मूंछें भी काफी चर्चा में रहीं। पुर्तगाली पर्यटक कहते थे कि वह इतनी लंबी और रेशमी थी कि उसे सिर पर साफे की तरह बांध लेता था। राजा ने कमर तक लहराती हुई दाढ़ी को बहुत अच्छा माना और ऐसे लोगों पर भी ध्यान दिया। उनकी कैबिनेट में कई ऐसे लोग थे, जिनकी दाढ़ी और मूंछें काफी लंबी थीं।

कहा जाता है कि महमूद बेगड़ा की भूख राक्षसी थी। वह एक दिन में 35 किलो खाना खाते थे। इसमें मिठाई, मीठे चावल, शहद और मक्खन शामिल थे। बेगड़ा एक दिन में 12 दर्जन से ज्यादा केले खाता था। जाहिर है, ये बढ़ा-चढ़ाकर की गई बातें हैं, लेकिन बेगड़ा की भूख में कुछ ऐसा था, जिसकी वजह से ऐसी कहानियां बनीं।