UPSC: बिलासपुर की बेटी पूर्वा की ऊंची उड़ान… दोस्तों से प्रेरित होकर शुरू की तैयारी… माता पिता के साथ मिलकर बनाया नोट्स… और आल इंडिया में ले आया 189 रैंक… आईपीएस की ट्रेनिंग के लिए हुआ चयन… इंडिया में बिल क्लिंटन फाउंडेशन की ब्रांड एंबेसडर भी रह चुकी हैं… पढ़िए… तिफरा स्कूल से UPSC तक सफर…

पूर्वा का मानना है कि सफलता का श्रेय उनके ईश्वर, माता-पिता, परिवार और मित्रों को जाता है। विशेष रूप से उनकी बड़ी बहन पूजा, जो खुद डबल गोल्ड मेडलिस्ट हैं और कोल इंडिया लिमिटेड, बिलासपुर में डिप्टी मैनेजर के रूप में कार्यरत हैं, ने उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर अंचल की निवासी पूर्वा अग्रवाल ने यूपीएससी 2024 में शानदार सफलता प्राप्त करते हुए ऑल इंडिया रैंक 189 हासिल किया है। इस उपलब्धि के साथ, उनका चयन सरदार बल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद में आईपीएस ट्रेनी के रूप में हुआ है, उन्होंने आइपीएस की ट्रेनिंग के लिए अकादमी ज्वाइन कर ली है। UPSC की ओर रुझान की उनकी कहानी दिलचस्प है।

पूर्वा बताती हैं कि बात उन दिनों की जब वह JNU पढ़ती थीं, उस समय वहां के उनके दोस्त UPSC की तैयारी कर रहे थे, दोस्तों के इस मंजिल को पाने के लिए वह भी इस मुहिम में शामिल हो गई और UPSC की तैयारी शुरू कर दी। दिलचस्प यह भी है कि उन्होंने इस मंजिल को फतह करने के लिए किसी कोचिंग संस्थान का खास सहारा नहीं लिया, उन्होंने खुद से नोट्स बनाया, इस काम में उनके माता पिता ने भी हाथ बंटाया।

पढ़ने का कोई टाइम तय तो नहीं किया, पर यह तय किया कि आज इस टॉपिक को पूरा करना है। टॉपिक को पूरा करने के जुनून में कब 6 से 10 घंटे का समय गुजर जाता था, पता ही नहीं चलता था, वह रोज मनोरंजन के लिए टीवी भी देखती थीं। UPSC EXAM क्लियर करने से पूर्वा की यह सफलता न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे बिलासपुर जिले के लिए गर्व का कारण है।

प्रारंभिक शिक्षा और करियर की दिशा

पूर्वा ने अपनी प्राथमिक शिक्षा IIT खड़गपुर के प्ले ग्रुप से शुरू की थी, जिसके बाद महर्षि विद्या मंदिर रायपुर, डीपीएस तिफरा बिलासपुर, कांगेर वैली रायपुर और डीएवी बिलासपुर से अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की। हाई स्कूल में उन्होंने मेडिकल और इंजीनियरिंग की राह छोड़कर कुछ अलग करने की सोची, और क्लेट परीक्षा देकर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में स्थान प्राप्त किया। इसके साथ ही, उन्होंने सीए की परीक्षा भी दी और ऑल इंडिया रैंक प्राप्त किया, हालांकि उन्होंने दोनों क्षेत्रों में प्रवेश नहीं लिया।

दिल्ली में शिक्षा और प्रेरणादायक कार्य

पूर्वा ने फिर श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, दिल्ली में बीए ऑनर्स (इकोनॉमिक्स) में प्रवेश लिया। यहां, उन्होंने ‘ऐनेक्टस’ नामक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन में काम किया, जिसमें उन्होंने वंचित समुदायों के लिए व्यवसाय मॉडल तैयार किए। अमेरिका में आयोजित एक प्रतियोगिता में उनकी टीम को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ, और उन्हें बिल क्लिंटन फाउंडेशन द्वारा भारत में एक वर्ष के लिए यूनिवर्सिटी एंबेसीडर के रूप में सम्मानित किया गया।

सफलता की ओर कदम

पूर्वा ने बीए की पढ़ाई के दौरान सिंगापुर के बार्कले बैंक में इंटर्नशिप की, और जॉब ऑफर भी प्राप्त किया, लेकिन उन्होंने विदेश और बैंकिंग क्षेत्र में काम करने का निर्णय नहीं लिया। इसके बाद, उन्होंने इंडियन इकोनॉमिक सर्विस परीक्षा के लिए दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रवेश लिया, लेकिन जल्द ही जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में दाखिला लिया। वहीं से उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की और 189 ऑल इंडिया रैंक प्राप्त किया।

खिलाड़ी और ओलंपियाड मेधावी

पूर्वा को तैराकी में भी विशेष रुचि थी और उन्होंने सात बार राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिताओं में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व किया। उनका पसंदीदा बटरफ्लाई स्ट्रोक था, जिसमें उन्हें कई स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक मिले। इसके साथ ही, उन्हें दिल्ली बाल भवन में ‘उत्कृष्ट प्रतिभा’ सम्मान से भी नवाजा गया।

समाज में योगदान और व्यक्तिगत जीवन

पूर्वा का मानना है कि सफलता का श्रेय उनके ईश्वर, माता-पिता, परिवार और मित्रों को जाता है। विशेष रूप से उनकी बड़ी बहन पूजा, जो खुद डबल गोल्ड मेडलिस्ट हैं और कोल इंडिया लिमिटेड, बिलासपुर में डिप्टी मैनेजर के रूप में कार्यरत हैं, ने उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अलावा, पूर्वा ने 5-6 घंटे प्रतिदिन बिलासपुर के साइलेंस जोन लाइब्रेरी में अध्ययन किया, जहां उन्हें अपने दोस्तों और सीनियर से भी काफी प्रेरणा मिली।

सामाजिक और मानसिक संतुलन बनाए रखना

पूर्वा ने अपने मानसिक संतुलन को बनाए रखने के लिए अपने परिवार के साथ टीवी देखना और शाम को हंसी-मजाक में वक्त बिताना महत्वपूर्ण समझा। साथ ही, वह प्रतिदिन दो घंटे अखबार पढ़ने के अलावा, लैपटॉप पर भी अपने अध्ययन को आगे बढ़ाती थीं।

आगे की योजना

पूर्वा के अनुसार, यदि वह नक्सलवाद जैसे मुद्दों पर काम करने का अवसर पाती हैं, तो उनका ध्यान इस दिशा में होगा कि कैसे नक्सलवाद को काबू में किया जा सकता है, और इसके लिए पुलिस और प्रशासन की भूमिका क्या हो सकती है।

पूर्वा की यात्रा निश्चित ही हर युवा के लिए प्रेरणा का स्रोत है और उनका यह संघर्ष यह साबित करता है कि मेहनत, समर्पण और सही दिशा में की गई तैयारी से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

यदि आप या आपके दोस्त, रिश्तेदार, पड़ोसी कोई भी प्रतियोगी परीक्षा में सफलता प्राप्त की है और आप दूसरे के लिए प्रेरणा स्रोत बनना चाहते हैं तो अपनी कहानी लिखकर व्हाट्सएप नंबर 8889177738 पर लिखकर भेज सकते हैं। हम आपके संघर्ष और कहानी को प्रकाशित करेंगे, ताकि भावी पीढ़ी को आपकी कहानी से मंजिल पाने का रास्ता मिल सके।