बिलासपुर: निगम के ओहदेदार जनप्रतिनिधि की शह पर लगरा में अवैध प्लाटिंग… कार्रवाई करने हाथ कांप रहे अफसरों के… रेडियो जैसे नाम की फर्म संचालित करने वाले बिल्डर का कारनामा…

Bilaspur: Illegal plotting in Lagra at the behest of the corporation's official public representative... Officers' hands are trembling to take action... The feat of the builder who runs a firm with a name like Radio...

बिलासपुर Bilaspur News। शहर के सीपत रोड स्थित लगरा क्षेत्र में एक बड़े बिल्डर द्वारा अवैध प्लाटिंग की खबरें सामने आई हैं, जिससे शहर में भू-उपयोग की अनियमितताओं पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इस मामले में नगर निगम के एक ओहदेदार और एक जनप्रतिनिधि का कथित संरक्षण पाया गया है। यह प्लाटिंग किसानों की जमीनों पर की जा रही है, और कथित तौर पर इस काम में नगर निगम, राजस्व विभाग के कुछ अधिकारी और जनप्रतिनिधि के परिवार का एक सदस्य शामिल है।

अवैध प्लाटिंग का सच

बिलासपुर में लगरा क्षेत्र एक महत्वपूर्ण स्थान बन चुका है, लेकिन यहां हो रही अवैध प्लाटिंग ने शहर की भूमि प्रणाली में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को उजागर किया है। सूत्रों के अनुसार, एक नामी बिल्डर, जो “रेडियो” जैसे नाम से पंजीकृत फर्म चलाता है, इस क्षेत्र में किसानों की भूमि पर अवैध रूप से प्लॉटिंग कर रहा है। यह प्लाटिंग बिना टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (TNC) मंजूरी के हो रही है, जिससे भूमि के उपयोग में अनियमितताएं उत्पन्न हो रही हैं।

कैसे हो रही है रजिस्ट्री?

गौरतलब है कि जिन भूमि पर अवैध प्लाटिंग की जा रही है, वो बिल्डर के नाम पर नहीं, बल्कि किसानों के नाम पर पंजीकृत हैं। बिल्डर ने इन जमीनों को किसानों से कम कीमत पर खरीदी और एग्रीमेंट किए। इसके बाद, जमीनों की रजिस्ट्री करते समय किसानों को किस्तों में भुगतान किया जा रहा है, ताकि ये प्रक्रिया कागजी तौर पर सही दिख सके। सूत्रों के मुताबिक, कुछ छोटे भूखंडों का लेआउट पास किया जाता है, ताकि यह दिखाया जा सके कि कानूनी प्रक्रिया पूरी की जा रही है, लेकिन असल में पूरी भूमि अवैध रूप से बेची जा रही है। यह पूरी प्रक्रिया धोखाधड़ी के रूप में सामने आ रही है।

नगर निगम और जनप्रतिनिधि की भूमिका

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि नगर निगम के एक उच्च अधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि का कथित संरक्षण इस अवैध प्लाटिंग के पीछे है। बताया जा रहा है कि जनप्रतिनिधि के परिवार का सदस्य इस बिल्डर के साथ साझेदारी में है। हालांकि, सार्वजनिक तौर पर यह मामला छिपाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन सूत्रों के अनुसार नगर निगम और राजस्व विभाग के कुछ अधिकारी इस कार्य में सक्रिय रूप से शामिल हैं। इन अधिकारियों की मदद से, बिल्डर अवैध तरीके से जमीनों पर कब्जा कर रजिस्ट्री करवा रहा है, जबकि असल में ये जमीनें कृषि उपयोग के लिए आवंटित थीं।

किसानों को कैसे किया जा रहा धोखा?

किसानों को धोखा देने की प्रक्रिया भी बेहद चौंकाने वाली है। जमीनों को किसानों से औने-पौने दामों पर खरीदा जाता है और उन्हें लुभावने प्रस्ताव देकर एग्रीमेंट पर साइन कराए जाते हैं। किसानों को यह विश्वास दिलाया जाता है कि उन्हें जमीन का अच्छा मूल्य मिलेगा, लेकिन असल में उन्हें बेहद कम राशि दी जा रही है। इसके बाद, उसी भूमि पर बिल्डर अपनी फर्म के माध्यम से अवैध प्लाटिंग करवा रहा है और वहां रजिस्ट्री भी करवा रहा है। इस प्रक्रिया में किसानों को पूरी जानकारी नहीं दी जाती और उनका शोषण हो रहा है।

राजस्व विभाग और निगम अधिकारियों की संलिप्तता

सूत्रों के अनुसार, अवैध प्लाटिंग के इस कार्य में राजस्व विभाग और नगर निगम के कुछ अधिकारी भी शामिल हैं, जो अपनी अनदेखी और भ्रष्टाचार के कारण इस पूरे मामले को बढ़ावा दे रहे हैं। इन अधिकारियों द्वारा अवैध लेआउट पास किए जाते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कानूनी प्रक्रिया के तहत सभी दस्तावेज पूरे हों। हालांकि, यह सब कागजी प्रक्रिया को सही दिखाने के लिए किया जाता है, जबकि वास्तविकता यह है कि यह जमीन अवैध तरीके से बेची जा रही है। इस मुद्दे पर अधिकारियों की चुप्पी और उनकी कार्रवाई में लापरवाही ने पूरे मामले को और गंभीर बना दिया है।

शहर की चारों तरफ अवैध प्लाटिंग 

चौंकाने वाली बात यह है कि इस बिल्डर का अवैध प्लाटिंग का काम केवल लगरा तक सीमित नहीं है। सूत्रों के अनुसार, इस बिल्डर ने शहर के अन्य क्षेत्रों में भी अवैध प्लाटिंग की है। रेडियो नाम की यह फर्म शहर भर में अपनी अवैध गतिविधियों को चला रही है, और प्रशासन की उदासीनता के कारण यह कार्य रुकने का नाम नहीं ले रहा। बिल्डर की यह रणनीति है कि छोटे भूखंडों का लेआउट पास करवा लिया जाता है और बाद में पूरी भूमि बेची जाती है, जिससे कानूनी कार्रवाई से बचा जा सके।

खसरा नंबर 68 और 69 में अवैध प्लाटिंग

लगरा क्षेत्र में जिस भूमि पर अवैध प्लाटिंग की जा रही है, उसमें खसरा नंबर 68 और 69 शामिल हैं। इन खसरा नंबरों पर बिल्डर द्वारा पूरी योजना बनाई गई है, और किसानों से ये भूमि खरीदी गई है। अब इस भूमि पर बिना उचित अनुमति के प्लाटिंग की जा रही है, जिससे भूमि के असल उपयोग में गड़बड़ी हो रही है और इस प्रक्रिया से आसपास के इलाके में भी अव्यवस्था उत्पन्न हो रही है।