बिलासपुर: वन विभाग में तार फेंसिंग के नाम पर 24 लाख से अधिक का घोटाला… हर डेढ़ मीटर में खर्च किए 1040 रुपए, जबकि बाजार में रेट 550 रुपए से अधिक नहीं… 7600 मीटर की फेंसिंग में खंभे कम लगाए… तार और पोल भी गुणवत्ताहीन… जानिए घोटाले के लिए पहले ही कैसे रची गई थी साजिश…
वन विभाग ने ठेकेदार को 52 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। इस हिसाब से 24 लाख 50 हजार रुपए का बेजा भुगतान किया गया है।
बिलासपुर Bilaspur news। बिलासपुर वन मंडल में जाली तार फेंसिंग के नाम पर एक घोटाला फूटा है। दरअसल, वन विभाग ने फदहाखार स्थित अपनी जमीन के चारों किनारे जाली तार से फेंसिंग की है, ताकि कोई कब्जा न कर सके। योजना अच्छी थी पर वन विभाग के जिम्मेदारों की नीयत बुरी हो गई। तार फेंसिंग की आड़ में जिम्मेदारों ने इस छोटे से काम में भी 24 लाख से अधिक का घोटाला कर दिखाया है। इसके लिए पहले ही साजिश रच दी गई थी।
रेलवे क्षेत्र से लगे फदहाखार में बिलासपुर वन मंडल की काफी जमीन है। इस जमीन के कुछ हिस्से पर एक बस्ती भी बस गई है और लगातार जमीन पर कब्जा हो रहा था। इसे गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन डीएफओ कुमार निशांत ने खाली पड़ी जमीन को जाली तार से घेरने की योजना बनाई।
डीएफओ DFO के निर्देश पर प्रभारी रेंजर नायक ने इस्टीमेट पेश किया, जिसमें बताया गया कि पूरी जमीन को घेरने में करीब 7600 मीटर जाली तार बिछाना पड़ेगा। हरेक डेढ़ मीटर में लोहे का एक पोल लगाना होगा। यानी कि करीब 5000 पोल लगाए जाएंगे। मजदूरों का खर्च अलग आएगा। पूरे काम में करीब 52 लाख रुपए खर्च आएंगे। तत्कालीन डीएफओ ने जाली तार फेंसिंग के लिए 52 लाख रुपए की स्वीकृति दे दी। प्रभारी रेंजर नायक की देखरेख में 7600 मीटर में जाली तार का घेरा लगा दिया गया और ठेकेदार को गुपचुप तरीके से भुगतान भी हो गया।
इस तरह से दिया फर्जीवाड़े का अंजाम
वन विभाग के इस्टीमेट के अनुसार 7600 मीटर में तार फेंसिंग में 5000 लोहे के एंगल लगाए गए हैं। यानी कि हर डेढ़ मीटर में एक पोल। 7600 मीटर फेंसिंग तार को लगाने में आई लागत 52 लाख रुपए का हिसाब करें तो हर डेढ़ मीटर का खर्च 1040 रुपए आ रहा है। इसमें जाली तार, पोल और मजदूरी खर्च शामिल हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन मार्केट अमेजन पर जारी रेट पर नजर डालें तो पता चलता है कि 8 फीट लंबी एक लोहे की पोल की कीमत 100 से 120 रुपए है। 6 फीट ऊंची और 50 फीट लंबे जाली तार की कीमत करीब 5000 है। यानी कि एक फीट जाली तार की कीमत करीब 100 रुपए हो रही है। बता दें कि एक मीटर बराबर 3.2 फीट होता है। यानी कि एक मीटर लंबे जाली तार की कीमत 320 रुपए हो रही है और डेढ़ मीटर जाली तार का रेट 480 है। इसमें पोल का रेट 120 रुपए को जोड़ दें तो डेढ़ मीटर जाली तार की फेंसिंग की कीमत 600 रुपए हो रही है, वह भी चिल्हर में।
थोक के भाव में बात करें तो यह रेट अधिकतम 500 रुपए पड़ेगा। इसमें हर डेढ़ मीटर फेंसिंग की मजदूरी 50 रुपए जोड़ दें तो पूरी लागत 550 रुपए से अधिक नहीं होगी। इस हिसाब से 7600 मीटर फेंसिंग की अधिकतम लागत 27 लाख 50 हजार रुपए हो रही है, जबकि वन विभाग ने ठेकेदार को 52 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। इस हिसाब से 24 लाख 50 हजार रुपए का बेजा भुगतान किया गया है।
घोटाले के लिए पहले ऐसे रची गई थी साजिश
फदहाखार में जाली तार फेंसिंग में घोटाले को साजिश के तहत अंजाम दिया गया है। दरअसल, वन विभाग ने इस काम की शुरुआत जनवरी 2022 में की थी। उसी समय लोहे के कुछ एंगल को गायब करा दिया गया और थाने में रिपोर्ट लिखा दी गई कि यहां से लोहे के 40 एंगल चोरी हो गए हैं। थाने में लिखाई गई रिपोर्ट को वन विभाग के जिम्मेदारों और ठेकेदार ने हथियार की तरह इस्तेमाल किया और जहां 5000 लोहे के एंगल लगाने थे, वहां 3000 से भी कम एंगल लगा दिए गए।
एक एंगल को खरीदा 166 रुपए में
वन विभाग ने लोहे के एक एंगल की कीमत 166 रुपए बताई है। थाने में की गई रिपोर्ट पर नजर डालें तो वन रक्षक ने 28 जनवरी 2022 को सिरगिट्टी थाने में रिपोर्ट लिखाई है। उसने बताया है कि रात में मौके से 24 एंगल चोरी हो गए, जिसकी कीमत 4000 रुपए है। यानी कि एक एंगल की कीमत वन विभाग ने 166.66 रुपए बताई है। इसी दर से ठेकेदार को भी भुगतान किया गया है।