छत्तीसगढ़; मेयर और नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव डायरेक्ट होगा… नगर पंचायत में अध्यक्ष भी जनता चुनेगी… साय कैबिनेट ने लिया फैसला…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में सोमवार को आयोजित साय कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं, जिनमें नगरीय निकाय चुनावों में मेयर और अध्यक्ष का चुनाव अब प्रत्यक्ष रूप से कराने का निर्णय प्रमुख है। इसके तहत, अब पार्षदों के साथ-साथ मेयर और अध्यक्ष के लिए भी जनता द्वारा वोट डाले जाएंगे। यह फैसला प्रदेश में नगरीय निकाय चुनावों को लेकर एक बड़ा बदलाव है।

2018 में कांग्रेस सरकार के गठन के बाद राज्य में नियमों में बदलाव हुआ था, जिसमें मेयर का चुनाव पार्षदों को सौंपा गया था। लेकिन अब यह व्यवस्था बदलते हुए जनता को मेयर और अध्यक्ष के चुनाव में भी भागीदारी देने का निर्णय लिया गया है। इससे पहले, 1999 में दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली मध्यप्रदेश सरकार ने महापौर के चुनाव का अधिकार पार्षदों से छीनकर जनता को दिया था, जो छत्तीसगढ़ में भी लागू हुआ था। 2018 में कांग्रेस की सरकार ने फिर से यह अधिकार पार्षदों को सौंप दिया था, लेकिन अब एक बार फिर जनता के हाथों में यह अधिकार होगा।

कैबिनेट की बैठक में अन्य फैसले भी लिए गए हैं। ओबीसी आरक्षण में बदलाव करते हुए अब ओबीसी को संख्या के अनुपात में 50 प्रतिशत तक आरक्षण मिलेगा, जो पहले 25 प्रतिशत था। इसके अलावा, चना के उपार्जन को लेकर नागरिक आपूर्ति निगम से ई-ऑक्शन प्लेटफॉर्म के माध्यम से चना खरीदी जाएगी।

राज्य सरकार ने पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने का भी निर्णय लिया है। छत्तीसगढ़ पर्यटन नीति 2020 में अब पर्यटन परियोजनाओं के लिए सामान्य उद्योगों की तरह अनुदान, छूट और रियायत का प्रावधान किया गया है। इस कदम से प्रदेश में एडवेंचर, वाटर टूरिज्म, मेडिकल और वेलनेस टूरिज्म, एग्रो टूरिज्म सहित अन्य पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, और निजी निवेश आकर्षित किया जाएगा।

इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्यपाल रामनिवास यादव से भी मुलाकात की, जहां दोनों के बीच निकाय चुनाव और विधानसभा सत्र को लेकर चर्चा हुई। 14 दिन बाद विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है, जिसमें अहम प्रस्ताव पास हो सकते हैं।

यह फैसले राज्य के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आ सकते हैं, खासकर नगरीय निकाय चुनावों और ओबीसी आरक्षण से जुड़े मुद्दों को लेकर।