गौण खनिज नियमों में व्यापक संशोधन… अब अवैध परिवहन पर अधिक जुर्माना और सजा का प्रावधान… अब गौण खनिजों के भंडारण के लिए लाइसेंस जरूरी…
बिलासपुर। राज्य सरकार ने गौण खनिज नियमों में व्यापक संशोधन किया है। इसके तहत अब अवैध परिवहन किए जाने पर ज्यादा जुर्माना और सजा का प्रावधान किया गया है। अब गौण खनिजों का बिना लाइसेंस भंडारण करना भी अपराध है। ऐसे मामलों में कारावास और जुर्माना दोनों तरह की कार्रवाई की जा सकती है। पूर्व में कोयला, आयरनओर, बाक्साइट आदि खनिजों के भंडारण के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती थी।
खनिज विभाग के उपसंचालक डॉ. दिनेश मिश्रा ने बताया कि छग शासन ने 30 जून 2020 को गौण खनिज नियमों में संशोधन किया है। संशोधन में पूर्व से स्वीकृत उत्खनि पट्टों में अवधि विस्तार करने पहले 2 साल की समय – सीमा रखी गई थी, जिसे 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ाया गया है। ऐसे उत्खनन पट्टा जिसकी स्वीकृति की तारीख से 30 वर्ष की कालावधि समाप्त हो रही है ऐसे पट्टे की समाप्ति पश्चात भी , पट्टा क्षेत्र में खनिज उपलब्ध होने पर शासन द्वारा निर्धारित प्रीमियम राशि की भुगतान के शर्त पर अधिकतम 05 वर्ष की अवधि हेतु पटटे के पूर्व निर्धारित निर्बधन एवं शर्तों पर केवल एक बार के लिए उत्खनिपट्टे की कालावधि विस्तारित किया जा सकेगा। शासकीय भूमि के मामले में उत्खनन पट्टा स्वीकृति हेतु ई – नीलामी / ई – निविदा प्रक्रिया से ही अधिमानी बोलीदार का चयन किया जायेगा, किन्तु निजी भूमि के मामलो में शासन द्वारा निर्धारित दर पर आवेदक से प्रीमियम राशि लिया जाकर उत्खनिपटटा स्वीकृति का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने बताया कि ई – नीलामी / ई – निविदा प्रक्रिया से स्वीकृत उत्खनिपट्टा में पट्टेदारों से ली जा रही प्रीमियम की राशि में प्रतिवर्ष वृद्धि का प्रावधान भी किया गया है। गौण खनिजों में पट्टेदार की मृत्यु उपरांत उनके विधिक वारिसान को पट्टा अंतरण का स्पष्ट प्रावधान किया गया है। खनिज पटटेधारियों द्वारा लगातार शासकीय निर्माण कार्य हेतु ठेकेदारों को अस्थाई अनुज्ञा पत्र स्वीकृत किये जाने पर उनका व्यापार प्रभावित होने संबंधी अभ्यावेदन शासन को दिया गया था, जिस पर विचार उपरांत नियमों में स्पष्ट किया गया है कि जिन क्षेत्रों में गौण खनिजों की 10-20 खदानें समूह में संचालित हैं, वहां से 25 किमी की परिधि तक तथा जहां 20 से अधिक खदानें समूह में संचालित हैं, वहां से 50 किमी की परिधि में अनुज्ञा पत्र स्वीकृत नहीं किए जाएंगे।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि गौण खनिजों के अवैध परिवहन एवं उत्खनन पर कड़ी से कड़ी से कार्यवाही करने गौण खनिज नियम 71 में व्यापक संशोधन करते हुए इसमें खान एवं खनिज ( विकास तथा विनियमन ) अधिनियम 1957 धारा 21 से 23 ( ख ) के प्रावधानों के तहत प्रकरण दर्ज किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि उक्त प्रावधानों में किसी भी व्यक्ति के द्वारा इस अधिनियम और तद्धीन बनाये गये नियमों के अधीन ही खनिज का परिवहन या भण्डारण करना अथवा करवाना है और यदि इन उपबंधों का उल्लंघन किया जाता है तो न्यायालय द्वारा 5 वर्ष का कारावास या पांच लाख रूपये जुर्माना अथवा दोनों किये जाने का प्रावधान है। वर्तमान में यह केवल मुख्य खनिजों जैसे कोयला, आयरनओर , बाक्साईट आदि पर ही लागू था, अब इसे गौण खनिजो के मामलों में भी लागू कर दिया गया है। इसके लागू होने से गौण खनिज के अवैध परिवहन करने वालो पर अधिक जुर्माना और सजा दोनों कार्रवाई की जा सकेगी। विभिन्न विभागों द्वारा कराये जा रहे निर्माण कार्यों में उपयोगित खनिज की वैधता खनिज विभाग से प्रमाणित कराने उपरांत, रायल्टी चुकता प्रमाण पत्र प्राप्त कर संबंधित विभाग को जमा करने पश्चात् ही ठेकेदारों को उनके अंतिम बिलों का भुगतान करने संबंधी निर्देश शासन द्वारा कलेक्टरों के माध्यम से जारी किये गये हैं, किन्तु इसके बावजूद कई सारे विभागों के द्वारा इसे गम्भीरता से नहीं लिया जा रहा था। रायल्टी क्लीयरेंस कराने जाने संबंधी प्रावधान को नियमों में शामिल करने से निर्माण कार्यों में अवैध स्त्रोतों से खनिज प्राप्त कर उपयोग किये जाने तथा बिना रायल्टी चुकता प्रमाण पत्र प्राप्त किये निर्माण विभागों से अपने बिलो का भुगतान प्राप्त करने वाले ठेकेदारों पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकेगा। उक्त संशोधन से जहां एक ओर वे उत्खनिपट्टेधारी जिन्होंने पूर्व निर्धारित समयावधि में प्रथम स्वीकृति दिनांक से 30 वर्ष हेतु उत्खनिपट्टा अवधि का विस्तारीकरण नहीं करा पाये थे, उन्हें अवधि विस्तार करने का एक और अवसर प्राप्त हो गया है। निर्माण कार्यों में पूर्व स्वीकृत एवं संचालित उत्खनिपट्टों से ही खनिज प्राप्त कर निर्माण कार्यों में उपयोग का रास्ता सुगम हो गया है, जिससे उत्खनि पटटाधारियों को सीधे लाभ होगा, निजी भूमि स्वामी सीधे उत्खनन पट्टा स्वीकृति करा सकते हैं।
दूसरी ओर अवैध रूप से खनिज का उत्खनन अथवा परिहवन करने वालों पर अधिक जुर्माना एवं सजा का प्रावधान किये जाने से इन लोगों पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकेगा।