बिलासपुर: महर्षि शिक्षण संस्थान का बड़ा कारनामा… स्कूल-यूनिवर्सिटी के नाम पर सरकार से ली जमीन… बिना अनुमति गुपचुप तरीके से बेच दी 10 एकड़ से ज्यादा जमीन…
दस्तावेज के अनुसार वर्तमान में महर्षि शिक्षण संस्थान रजिस्टर्ड अंडर सोसायटी के कर्ताधर्ता गिरीशचंद्र हैं।
बिलासपुर Bilaspur News। महर्षि शिक्षण संस्थान का एक बड़ा कारनामा सामने आया है। महर्षि शिक्षण संस्थान ने स्कूल यूनिवर्सिटी खोलने के नाम पर छत्तीसगढ़ सरकार से तखतपुर ब्लॉक में रियायती दर पर 40 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदी। पिछले कांग्रेस शासन काल में महर्षि शिक्षण संस्थान ने इसमें से 10 एकड़ से अधिक जमीन दो लोगों को बेच दी है। दिलचस्प ये है कि इस जमीन को बेचने से पहले जिला प्रशासन से किसी तरह की अनुमति नहीं ली गई है।
महर्षि शिक्षण संस्थान ने बिलासपुर तहसील अंतर्गत मंगला में सबसे पहले स्कूल का संचालन शुरू किया। वर्तमान में मंगला में महर्षि हायर सेकेंडरी स्कूल संचालित है। 2007-08 के बाद मंगला में महर्षि स्कूल के सामने महर्षि यूनिवर्सिटी की नींव रखी, जहां वर्तमान में कई तरह के कोर्स संचालित है। यूजीसी के नियम के अनुसार कोई भी यूनिवर्सिटी खोलने से पहले संबंधित संस्थान को पर्याप्त मात्रा में जमीन की जरूरत पड़ती है।
अलबत्ता, महर्षि शिक्षण संस्थान ने यूजीसी के मापदंड के अनुरूप जमीन के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के पास आवेदन किया। सरकार ने महर्षि शिक्षण संस्थान को तखतपुर ब्लॉक में 40 एकड़ से अधिक जमीन देने की मंजूरी दे दी।
उस समय इतनी जमीन रियायती दर पर महर्षि शिक्षण संस्थान के नाम से रजिस्ट्री कर दी गई। जमीन नाम पर आने के बाद महर्षि शिक्षण संस्थान ने महर्षि यूनिवर्सिटी भी खोल दी। दस्तावेज के अनुसार वर्तमान में महर्षि शिक्षण संस्थान रजिस्टर्ड अंडर सोसायटी के कर्ताधर्ता गिरीशचंद्र हैं।
दस्तावेज के अनुसार गिरीशचंद्र ने 10 एकड़ से अधिक जमीन को बेचने के लिए विजय कुमार के नाम से पावर ऑफ अटॉर्नी जारी कर दिया। पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन काल में विजय कुमार ने 10 एकड़ से अधिक जमीन बिलासपुर के लिंगियाडीह निवासी कश्यप परिवार को बेच दी है। ताज्जुब की बात यह भी है कि कलेक्टर की अनुमति के बिना यह जमीन रजिस्ट्री भी हो गई और नामांतरण भी हो गया।
स्कूल यूनिवर्सिटी के नाम पर ली गई जमीन की खरीद फरोख्त से साफ है कि इस काम में निचले स्तर के राजस्व अफसर भी शामिल हैं। राजस्व मामलों के जानकार वकील का कहना है कि स्कूल यूनिवर्सिटी के नाम पर ली गई जमीन किसी भी हालत में नहीं बेची जा सकती है। वर्तमान में SBR कॉलेज इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसके खेल मैदान को बेच दिया गया था, जिसकी रजिस्ट्री शून्य घोषित कर हाइकोर्ट ने जमीन को सरकार के नाम पर चढ़ाने का आदेश है।
वकील का यह भी कहना है कि यदि महर्षि शिक्षण संस्थान के नाम पर ली गई जमीन को बेच दिया गया है तो दस्तावेज के साथ कलेक्टर या फिर कोर्ट में मामले को चुनौती दी जा सकती है। वहां से जमीन की रजिस्ट्री शून्य हो जाएगी और यह जमीन फिर से शासन के नाम पर आ जाएगी। इस मामले में पक्ष जानने के लिए महर्षि शिक्षण संस्थान के स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया, सूचना भी भिजवाई गई, लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया।