एसबीआर कॉलेज के पास की खाली जमीन के मालिकाना हक को लेकर बड़ा खुलासा… जानिए कैसे खुला कॉलेज… कौन कर रहा था संचालित और खाली जमीन किससे और किसलिए खरीदी गई थी…
दस्तावेज के अनुसार एसबीआर कॉलेज (shewbhagwan rameshwarlal college) और shewbhagwan rameshwarlal charitable trust के बीच सिर्फ नाम का संबंध है। कभी भी किसी तरह से संपत्ति को लेकर रिश्ता नहीं रहा है। यानी कि shewbhagwan rameshwarlal charitable trust ने कभी भी कॉलेज के नाम पर न तो कोई संपत्ति खरीदी है और न ही कभी कोई जायदाद दान किया है।
बिलासपुर। शहर के सबसे पुराने महाविद्यालय एसबीआर कॉलेज (shewbhagwan rameshwarlal college) के पास स्थित 2 एकड़ 40 डिसमिल खाली जमीन के मालिकाना हक को लेकर लंबे समय से बड़ी बहस छिड़ी हुई है। एक धड़ा दावा करता है कि यह कॉलेज की संपत्ति है तो दूसरे धड़े ने इस जमीन को shewbhagwan rameshwarlal charitable trust की निजी संपत्ति करार दिया है। इसी जमीन के स्वामित्व को लेकर राजनीति, कूटनीति से लेकर सारे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।
करीब 7 साल से जिस जमीन को लेकर सरगर्मी छाई हुई है। आम आदमी के जेहन में ये सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर ये माजरा क्या है और यह कॉलेज का खेल मैदान है तो इसके निजी संपत्ति होने का दावा क्यों किया जा रहा है। वेब मीडिया को भी यही सवाल बार-बार कौंध रहा था। इन सवालों का जवाब एसबीआर कॉलेज (shewbhagwan rameshwarlal college) और shewbhagwan rameshwarlal charitable trust के बीच का रिश्ता ही दे सकता था। जब हमने पता लगाया कि दोनों के बीच आखिर रिश्ता क्या है तो कई बड़े चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
दोनों के बीच सिर्फ नाम का संबंध, संपत्ति का नहीं
वेब मीडिया इस जमीन के सरकारी या निजी होने का दावा नहीं करती है, पर दस्तावेज बताते हैं कि ये जमीन shewbhagwan rameshwarlal charitable trust की निजी संपत्ति रही है। shewbhagwan rameshwarlal charitable trust के नाम पर अध्यक्ष बच्छराज ने 1958 में जरहाभाठा निवासी खोरबहरा पिता प्यारे कनौजिया से खसरा नंबर 107, रकबा 0.040 हेक्टेयर और जरहाभाठा निवासी दुर्गा पिता रामलाल कनौजिया से खसरा नंबर 108, रकबा 0.922 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी। तब से यह जमीन shewbhagwan rameshwarlal charitable trust के नाम पर चलती आ रही है।
दस्तावेज के अनुसार एसबीआर कॉलेज (shewbhagwan rameshwarlal college) और shewbhagwan rameshwarlal charitable trust के बीच सिर्फ नाम का संबंध है। कभी भी किसी तरह से संपत्ति को लेकर रिश्ता नहीं रहा है। यानी कि shewbhagwan rameshwarlal charitable trust ने कभी भी कॉलेज के नाम पर न तो कोई संपत्ति खरीदी है और न ही कभी कोई जायदाद दान किया है।
जानिए क्यों गठित किया ट्रस्ट और कैसे पड़ा एसबीआर कॉलेज नाम
shewbhagwan rameshwarlal charitable trust के गठन का किस्सा काफी दिलचस्प और अनुकरणीय है। बात आजादी से पहले यानी कि 1944 की है। तब नगर पालिका हाईस्कूल में आनंदीलाल पांडेय प्रधान अध्यापक हुआ करते थे। उन्होंने क्षेत्र में उच्च शिक्षा का अलख जगाने के लिए महाकौशल एजुकेशन सोसाइटी का गठन कर बिलासपुर में 10 जुलाई 1944 को पहला कॉलेज तो खोल लिया, लेकिन इसे संचालित करने में आर्थिक समस्या आड़े आ रही थी। उन्होंने कई दानदाताओं से संपर्क किया।
इसी बीच उन्होंने बजाज परिवार से संपर्क किया और अपने उद्देश्य के बारे में उन्हें बताया। बजाज परिवार के सदस्य जनहित के इस काम में हरसंभव मदद करने को तैयार हो गए, पर शर्त यह रखी कि कॉलेज का नामकरण एसबीआर (shewbhagwan rameshwarlal college) किया जाएगा। यह तभी संभव था कि जब इस नाम का ट्रस्ट महाकौशल एजुकेशन सोसाइटी को shewbhagwan rameshwarlal college संचालित करने के लिए कुछ दान करे।
रामेश्वर लाल बजाज पिता कालूराम बजाज, बच्छराज बजाज पिता शेवभगवान बजाज और अमोलकचंद बजाज पिता शेवभगवान बजाज ने मिलकर shewbhagwan rameshwarlal charitable trust का गठन किया और 18 जुलाई 1944 को ट्रस्ट डिड बनवाया, जिसमें साफ लिखा है कि यह ट्रस्ट shewbhagwan rameshwarlal arts college bilaspur नाम से कॉलेज खोलने के लिए एक लाख रुपए दान करेगा। उस समय ट्रस्ट के चेयरमैन रामेश्वरलाल बजाज, सेक्रेटरी अमोलकचंद बजाज और सदस्य बच्छराज बजाज थे। shewbhagwan rameshwarlal charitable trust ने महाकौशल एजुकेशन सोसाइटी को कॉलेज संचालित करने के लिए एक लाख रुपए दान में दे दिया। तब से इस कॉलेज का नाम एसबीआर रख दिया गया।
ट्रस्ट की संपत्ति पर कॉलेज का हिस्सा क्यों नहीं
सवाल यह उठता है कि जब shewbhagwan rameshwarlal charitable trust ने एसबीआर कॉलेज संचालित करने के लिए एक लाख रुपए दान में दिया है तो उसकी संपत्ति पर हिस्सा क्यों नहीं बनता। दस्तावेज के अनुसार महाकौशल एजुकेशन सोसाइटी और shewbhagwan rameshwarlal charitable trust दोनों अलग-अलग संस्थाएं हैं। महाकौशल एजुकेशन सोसाइटी ही कॉलेज का संचालन करती रही है। इस काम में कभी भी shewbhagwan rameshwarlal charitable trust ने हस्तक्षेप नहीं किया।
shewbhagwan rameshwarlal charitable trust ने महाकौशल एजुकेशन सोसाइटी को कॉलेज चलाने के लिए सिर्फ एक बार एक लाख रुपए दान किया है। दोनों संस्थाओं के अलग-अलग होने से यह साफ तौर पर कहा जा सकता है कि shewbhagwan rameshwarlal charitable trust की संपत्ति पर किसी भी तरह से एसबीआर कॉलेज का हक नहीं बनता है, क्योंकि कॉलेज को अस्तित्व में महाकौशल एजुकेशन सोसाइटी ने लाया और उसका संचालन भी करता रहा। shewbhagwan rameshwarlal charitable trust ने तो कॉलेज का नामकरण कराया था।
shewbhagwan rameshwarlal charitable trust के इन्हीं दस्तावेज और दलील के आधार पर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने एसबीआर कॉलेज के पास की खाली जमीन का मालिक shewbhagwan rameshwarlal charitable trust को ही घोषित किया है। हालांकि हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के फैसले को डबल बेंच में चुनौती दी गई है, जिस पर सुनवाई जारी है।