बिलासपुर मेयर रामशरण बोले- छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा है रोका-छेका… अभियान से खेतों में फसल भी सुरक्षित रहेगा: शैलेश पांडेय… नगर निगम के गोठान से शुरू हुआ अभियान…

बिलासपुर (25 जून 2020)। फसल को किसी तरह की नुकसान न हो, इसके लिए गांव के किसानों के बीच अपने मवेशियों को नियंत्रण में रखने का छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा है, रोका-छेका, जिसे वर्तमान में छत्तीसगढ़ सरकार ने पूरे प्रदेश में लागू किया है।

ये बातें मेयर रामशरण यादव ने शनिवार को मोपका स्थित गोठान में आयोजित रोका -छेका अभियान कार्यक्रम में कहीं। इस अवसर पर मेयर यादव ने खेतों में फसल होने के दौरान मवेशियों को वहां जाने से रोकने के लिए छत्तीसगढ़ की परंपरागत व्यवस्था पर प्रकाश डाला। मेयर यादव ने बताया कि गांव में रोका -छेका के लिए कोटवार, पटेल, सरपंच और यादव की अहम भूमिका रहती थी। खेतों में फसल होने पर गांव के सभी लोग आपस में बैठ कर अपने अपने मवेशियों को खेतों में जाने से रोकने के लिए आपसी चर्चा से व्यवस्था बनाते थे। गांव के किसान गांव के प्रत्येक घर के हल के हिसाब से मवेसी का आकलन करते थे और खेतों में मवेशियों के जाने पर जुर्माना ( डांड़) लगाते थे। यह परंपरा छत्तीसगढ़ में वर्षों से चली आ रही है, जिसे आज छत्तीसगढ़ सरकार ने पूरे प्रदेश में लागू किया है। इससे निश्चित तौर पर एक ओर जहां किसानों की फसल को नुकसान होने से बचाया जा सकेगा, वहीं मवेसी भी सुरक्षित रहेगी और दुर्घटना की आशंका कम होगी।

विधायक शैलेश पाण्डेय ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के हितों में सतत कार्य कर रही है। कर्जा माफी से लेकर धान का समर्थन मूल्य घोषणा के अनुरूप दिया गया। इसी तरह नरुआ, गरुआ, घुरुआ अउ बारी योजना के साथ रोका -छेका अभियान से छत्तीसगढ़ की परंपरा अनुसार कार्य किया जा रहा है। इससे आवारा मवेशियों के सड़क पर विचरण करने से जो दुर्घटना की आशंका रहती है वो नहीं होगी और अभियान से खेतों में फसल भी सुरक्षित रहेगा। इस दौरान विधायक पाण्डेय ने मवेशियों को गोठान में लाने के बाद उनके चारा पानी की व्यवस्था के साथ गोबर और कम्पोस्टिंग खाद बनाने की योजना पर भी प्रकाश डाला।

निगम कमिश्नर प्रभाकर पाण्डेय ने बताया कि रोका -छेका अभियान 19 से 30 जून तक चलेगा। इसके लिए निगम के सभी वार्डों में कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। उन्होंने बताया कि रोका -छेका अभियान नई चीज नहीं है, यह खेतों की फसल को मवेशियों से बचाने किसनों के बीच आपसी चर्चा की परंपरा है। इसमें गांव के किसान आपस में बैठ कर चर्चा के माध्यम से फसल को नुकसान होने से बचाने के लिए अपने अपने मवेशियों को किस तरह से कब तक घरों में रखना है। इसका निर्णय लेते हैं। यह गांव की परंपरा है, जिसमें अब शहरी क्षेत्र को भी जोड़ा गया है। शहर की सड़कों में पालतू और आवारा मवेसियों के रहने के कारण दुर्घटना की स्थिति बनती है। इससे मवेशियों के साथ आम लोगों को भी खतरा रहता है। इससे बचने के लिए ही नरुआ, गरुआ, घुरुआ अउ बारी योजना के साथ गोठान बनाने का निर्णय लिया गया, जहां इन मवेशियों को रख कर चारा, पानी के साथ इलाज की व्यवस्था की गई है। इससे फसल के साथ आम जनता और मवेशी भी सुरक्षित रहेंगे। कार्यक्रम का संचालन अपर कमिश्नर राकेश जायसवाल और जोन कमिश्नर प्रवीण शर्मा ने किया।

कार्यक्रम में निगम सभापति शेख नजीरुद्दीन, एमआईसी सदस्य विजय केशरवानी, राजेश शुक्ला,मती तिवारी, पुष्पेंद्र साहू, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष अटलवास्तव सहित जनप्रतिनिधि, किसान और निगम के अधिकारी उपस्थित थे।