आदिवासी परिवारों और तेंदूपत्ता तोड़ाई करने वाले मजदूरों का दर्द सुना जिला पंचायत सदस्य अंकित गौरहा ने… कहा- विपत्ति के समय सहयोग करें, राजनीति नहीं…
बिलासपुर। बेलतरा विधानसभा के वनांचल क्षेत्र ग्राम पंचायत बाँका मे जिला पंचायत सभापति स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अंकित गौरहा ने तेंदूपत्ता तोड़ाई और संग्रहण कर रहे गरीब आदिवासी परिवारों को मास्क वितरण कर उनकी समस्याओं को भी गंभीरता से सुना और जल्द ही उनके निराकरण का आश्वासन भी दिया।
ग्राम पंचायत बाँका मे तेंदूपत्ता संग्रहण का चल रहा है, जिसमें ग्रामीण अंचल के परिवार के लोग एकजुट होकर इस कार्य में लगते हैं, जिनसे मिलने वाली राशि पूरे परिवार के लिए राहत का काम करती है, पर वन विभाग के बीट गार्ड के लगातर अनुपस्थित रहने के कारण ग्रामीणों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। इसकी जानकारी ग्राम तेंदूपत्ता संग्रहण समिति के उपाध्यक्ष संतोषी राज ने जिला पंचायत सदस्य अंकित गौरहा को दी, तब उन्होने ग्राम पंचायत बाँका पहुचकर वन विभाग के रेंजर व एसडीओ को निर्देशित किया और तेंदूपत्ता संग्रहण कर रहे ग्रामीणों को मास्क वितरण कर कोरोना वायरस के प्रति सजग रहने को कहा।
उन्होंने बताया कि ऐसी विपत्ति के समय में सहयोग की भावना से कार्य करना चाहिये, राजनीति नहीं।वर्तमान दौर में हम सभी कोरोना जैसी महामारी का सामना कर रहे हैं। फिर भी इतनी विपरीत परिस्थितियों मे जब सबको जनहित का कार्य करते हुये एक-दुसरे का सहयोग करना चाहिये, तब भारतीय जनता पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के साथ कुछ सांसद व विधायक भी आज शराबबंदी की मांग व किसानों के हितैषी बनकर राजनीति करते नजर आए, अब आप ही बताइये कि ऐसे कठिन समय मे जिनकी राजनितिक भूख आम जनता के हित से बड़ी है, उनसे क्या उम्मीद रखी जाए।
फिलहाल जब पहले भी छत्तीसगढ़ मे भाजपा की सरकार थी, तब इन्होंने 15 वर्षों में कभी शराबबंदी की पहल नहीं की। इन्होंने तो कोचियों को समाप्त करने उददेश्य बताकर शराब की ठेका प्रथा तक समाप्त कर दी और राज्य सरकार को कलंकित करते हुये भारतीय जनता पार्टी की सरकार ही शराब का विक्रय करने लगी और रही किसानों के हित की बात तो कभी भी छत्तीसगढ़ प्रदेश में किसानों को पिछले 15 वर्षों में 2500 रुपये का समर्थन मूल्य नहीं मिला।