मरवाही उपचुनाव: वोटों के बंटवारे का फायदा उठाने का गणित… भाजपा से तीन नामों पर चल रही है चर्चा… चुनाव प्रभारी तय होते ही नाम होगा फाइनल…
बिलासपुर। राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद रिक्त हुई मरवाही विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए विपक्षी भाजपा में चुनाव प्रभारी और प्रत्याशी के नामों पर अंदर ही अंदर चर्चा चल रही है।
संगठन के पास मरवाही से जोर आजमाइश के लिए तीन नामों पर गंभीरता से विचार चल रहा है। इसमें 1998 में पार्टी की टिकट से पहली बार जीते रामदयाल उइके और कांग्रेस से टिकट कटने पर भाजपा की टिकट पर 1990 में जीते स्व. भंवर सिंह पोर्ते की बेटी अर्चना कंवर व डा. गंभीर सिंह के नाम शामिल हैं। इनमें से किसी नाम को चुनाव प्रभारी तय होते ही उनकी इच्छा से फाइनल किया जाएगा। वहीं, प्रदेश संगठन मरवाही चुनाव के लिए नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक या पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल में से किसी को मरवाही उपचुनाव का जिम्मा देने मंथन कर रहा है।
संगठन के निर्देश पर बीते दिनों जिला भाजपा कार्यालय में जिला भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में मरवाही के मुद्दे पर खास फोकस किया गया था। हर बूथ की जिम्मेदारी सोच समझ कर देने मंडल अध्यक्षों को बुलाकर चर्चा की गई। नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा था कि जल्दी ही नेताओं के दौरे मरवाही क्षेत्र में होंगे। इस क्रम में संगठन महामंत्री पवन साय, सांसद अरुण साव मरवाही का दौरा कर चुनावी संभावनाओं की टोह ले चुके हैं।
वोटों के बंटवारे का फायदा उठाने का गणित
अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से मरवाही सीट कांग्रेस का गढ़ रही। 1990 में पहली बार भंवर सिंह पोर्ते की टिकट कांग्रेस से कटने के बाद उन्होंने भाजपा से चुनाव लड़कर जीती थी। इसके बाद 1998 में रामदयाल उइके ने भाजपा से जीत दर्ज किया। दोनों ही चुनावों में भाजपा को कांग्रेस के बिखराव का फायदा मिला। राज्य गठन के बाद यह सीट जोगी परिवार के कब्जे में चली गई। जीत का आंकड़ा 2003 में 54150 से शुरू हुआ जो 2018 में अमित जोगी द्वारा पिता का उत्तराधिकार संभालने पर 46462 पर पहुंचा। कांग्रेस इस चुनाव में तीसरे नंबर पर रही और भाजपा की अर्चना पोर्ते को 27579 वोट मिले। स्पष्ट है कि भावी चुनाव में भी कांग्रेस और जोगी कांग्रेस के बीच टक्कर होने पर भाजपा अपने फायदे का गणित लगा रही है।
सूत्रों के मुताबिक चूंकि इस सीट में 1.80 लाख मतदाताओं में गोंड़ समुदाय की निर्णायक भागीदारी रहती है, इसलिए भाजपा ने इसी समुदाय के प्रत्याशियों पर दांव लगाने की मंशा बनाई है। इनमें रामदयाल उइके, अर्चना पोर्ते के बाद तीसरा नाम डा.गंभीर है, जिस पर भी तेजी से विचार चल रहा है।