छत्तीसगढ़: आखिरकार पंचायत मंत्री टीएस बाबा (TS Singhdev)के सब्र का बांध टूटा… दिया इस्तीफा… जानिए नाराजगी के तीन कारण… नेता प्रतिपक्ष धरमलाल ने दिया बड़ा बयान…

उन्होंने उनके इस्तीफे के तीन बड़े कारण बताए हैं। उनके करीबियों के अनुसार देश के इतिहास में यह पहली सरकार है, जिसने समग्र विकास योजना मद में काम स्वीकृति के लिए सचिव स्तर की कमेटी बना दी है, जबकि यह अधिकार पंचायत मंत्री के पास रहते आया है।

बिलासपुर। सरल, सहज और सुलझे हुए छत्तीसगढ़ के मंत्री टीएस सिंहदेव (TS Singhdev) के सब्र का बांध टूट गया है। उन्होंने शनिवार को पंचायत मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उन्होंने कारण तो नहीं बताया है, लेकिन उनके इस्तीफे से प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है और भाजपा से लेकर कांग्रेस के आला पदाधिकारियों के बीच यह कौतूहल मचा हुआ है कि आखिरकार उन्होंने सिर्फ पंचायत मंत्रालय से ही इस्तीफा क्यों दिया। इस बीच नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का बड़ा बयान आया है।

प्रदेश में कांग्रेस का बहुमत आने के बाद राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा आम हो गई थी कि भूपेश बघ्ोल और टीएस सिंहदेव (TS Singhdev) के बीच ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री बनने को लेकर सहमति बनी है। ढाई साल तक यह मामला शांत रहा। ढाई साल बीतने के बाद भी जब बाबा को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो यह मामला सुर्खियों में आ गया। गांवों की गलियों से लेकर दिल्ली तक यह मामला गरमाया रहा। इसके लिए टीएस बाबा ने दिल्ली तक कई बार दौड़ लगाई। हालांकि अब तक बात नहीं बनी है।

शनिवार को कांग्रेस की राजनीति ने अचानक नया मोड़ ले लिया। टीएस बाबा ने पंचायत मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। अब उनके पास लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, बीस सूत्रीय, वाणिज्यिक कर (जीएसटी) का प्रभार है। उनके इस्तीफे की बात सार्वजनिक होते ही राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह की चर्चा होने लगी है।

मंत्री सिंहदेव से जुड़े उनके करीबियों की मानें तो बाबा ने यह कदम सोच-समझकर उठाया है। उन्होंने उनके इस्तीफे के तीन बड़े कारण बताए हैं। उनके करीबियों के अनुसार देश के इतिहास में यह पहली सरकार है, जिसने समग्र विकास योजना मद में काम स्वीकृति के लिए सचिव स्तर की कमेटी बना दी है, जबकि यह अधिकार पंचायत मंत्री के पास रहते आया है। दूसरा कारण प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के 12 हजार करोड़ रुपए लेप्स कराना है।

सरकार नहीं चाहती कि प्रदेश में बाबा का कद बढ़े। इसलिए ही गरीबों के आशियाने के सपने को चकनाचूर कर दिया। तीसरा बड़ा कारण मनरेगा के बर्खास्त सहायक परियोजना अधिकारियों (एपीओ) को बहाल करना है। करीबियों का कहना है कि जब ये अधिकारी हड़ताल पर गए थ्ो, तब उन्हें काम पर लौटने के लिए बाबा ने कई बार अपील की, लेकिन वे माने तो उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा था कि उनके स्थान पर काम करने के लिए बहुत लोग हैं।

उनके अल्टीमेटम के बाद जब एपीओ नहीं लौटे तो उन्होंने कड़ा फैसला लेते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया, लेकिन कुछ दिनों के बाद सरकार ने उनके फैसले को पलटते हुए बर्खास्त अधिकारियों को बहाल कर दिया। इससे बाबा बहुत आहत हुए हैं।

धरमलाल बोले- अभी भी बाबा को लालच है…

इस मामले में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का बड़ा बयान सामने आया है। उनका कहना है कि इतनी ही नाराजगी है तो बाबा (TS Singhdev) को सारे पदों से इस्तीफा देना था। अभी भी उनके पास बड़े-बड़े विभाग हैं और वे मंत्री पद पर बने हुए हैं। इससे साबित होता है कि अभी भी उन्हें लालच है। बीजेपी में आने के सवाल पर उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।